Political Science, asked by stewart5920, 1 year ago

गुट- निरपेक्ष आंदोलन को तीसरी दुनिया के देशों ने तीसरे विकल्प के रूप में समझा I जब शीतयुद्ध अपने शिखर पर था तब इस विकल्प ने तीसरी दुनिया के देशों के विकास में कैसे मदद पहुंचाई?

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Answered by TbiaSupreme
40

"जब शीत युद्ध अपने चरम पर था और विश्व दो गुटों में बंटने लगा था, तो इन दो गुटों से अलग एक नये गुट ने जन्म लिया जो गुटनिरपेक्ष आंदोलन  कहलाया । उस समय सारी दुनिया तीन भागों में बंट गई थी । पूंजीवादी गुट वाली पहली दुनिया, साम्यवादी (कम्युनिस्ट) गुट वाली दूसरी दुनिया व गुट-निरपेक्ष आंदोलन वाले  व विकासशील देशों वाली तीसरी दुनिया ।

तीसरी दुनिया के नए-नए आजाद हुए इन देशों के सामने अपने विकास की चुनौती थी । बिना विकास के उनकी आजादी स्थिर रहना संभव नहीं था, क्योंकि ऐसी स्थिति में उन्हें धनी देशों पर निर्भर होना पड़ता जोकि वो देश भी हो सकता था जिससे उन्हें आजादी मिली थी ।

गुटनिरपेक्ष आंदोलन वाले देशों की इसी समस्या से निपटने  के लिए संयुक्त राष्ट्र के एक सम्मेलन में 1972 में एक रिपोर्ट तैयार की गई जिसमें कुछ सुझाव दिए गए ।

(1) विकासशील देशों को उनके प्राकृतिक संसाधनों पर उनका ही नियंत्रण हो।

(2) विकासशील देशों को अपना सामान पश्चिमी देशों के बाजारों में बेचने की छूट मिले ।

(3) पश्चिमी देशों से आने जाने वाली प्रौद्योगिकी की लागत कम हो ।

(4) विकासशील देशों को अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में अधिक भूमिका मिले ।

इस प्रकार गुट-निरपेक्ष आंदोलन के प्रभाव के कारण संयुक्त राष्ट्र ने यह सुझाव दिए और उन पर अमल किया गया जिसके कारण गुट-निरपेक्ष आंदोलन के कारण तीसरी दुनिया के देशों को लाभ प्राप्त हुआ और उन्हें अपना विकास करने के अवसर मिले ।

"

Answered by Yashrathore24
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Explanation:i hope it's help you

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