गुटका और तम्बाकू युक्त पदार्थों के उपयोग से होने वाले प्रभाव बताइये।
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Answer:
तम्बाकू एक प्रकार के निकोटियाना प्रजाति के पेड़ के पत्तों को सुखा कर नशा करने की वस्तु बनाई जाती है। दरअसल तम्बाकू एक मीठा जहर है, एक धीमा जहर. हौले-हौले यह आदमी की जान लेता है। सरकार को भी शायद यह पता नहीं कि तम्बाकू से वह राजस्व प्राप्त करनी है, यह बात तो सही है किंतु यह भी सही है कि तम्बाकू से उत्पन्न रोगों के इलाज पर जितना खर्च किया जाता है, यह राजस्व उससे कहीं कम है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि तम्बाकू के सेवन से जीवनी शक्ति का भी ह्रास होता है। व्यक्ति को पता चल जाता है कि तम्बाकू का सेवन हानिकारक है किंतु बाद में लाख छुड़ाने पर भी यह लत छूटती नहीं। सो धीरे-धीरे उसमें जीवनी शक्ति भी कम होती जाती है और वह अपने आपको एक तरह से विनाश के हवाले भी कर देता है।
Explanation:
यह सर्वविदित है कि पूरे संसार में तम्बाकू का दुरूपयोग सिगरेट के रूप में किया जाता है। भारत में इसका उपयोग अन्य रूप में भी किया जाता है। जैसे बीड़ी, हुक्का, गुल, गुड़ाकु, जर्दा, किमाम, खैनी, गुटखा आदि के रूप में। तम्बाकू का प्रयोग किसी भी रूप में किया जाए, इससे शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ता ही है।
भारत में इस्तेमाल किए जाने वाले तम्बाकू कई प्रकार के होते है:-
धुंआरहित तम्बाकू
तम्बाकू वाला पान
पान मसाला
तम्बाकू, सुपारी और बुझे हुए चूने का मिश्रण
मैनपुरी तम्बाकू
मावा
तम्बाकू और बुझा हुआ चूना (खैनी)
चबाने योग्य तम्बाकू
सनस
मिश्री
गुल
बज्जर
गुढ़ाकू
क्रीमदार तम्बाकू पाउडर
तम्बाकू युक्त पानी
गुटका और तम्बाकू सेवन से मुंह में ''कैंसर'' फैल जाता है
स्पष्टीकरण:
तम्बाकू खाना सेहत के लिए हानिकारक होता है, ये तो आप सभी जानते हैं।तम्बाकू का ही एक रूप होता है गुटखा, जिसे कत्था और सुपारी को मिलाकर तैयार किया जाता है। इसके साथ ही एक ऐसा जहरीला कैमिकल मिलाया जाता है जो धीरे-धीरे असर करता हुआ मुंह से लेकर बॉडी दूसरे जरूरी अंग पर प्रभाव करता है ।
वैसे तम्बाकू खाने से कैंसर होता है और ये बात हर आदमी जानता है लेकिन इससे ऐसी बहुत सी बीमारियां हो जाती हैं जिसका अंदाजा भी आपको नहीं होगा अगर है तो आज ही आप तम्बाकू छोड़ दीजिए ।
गुटका और तम्बाकू के प्रभाव :
- लगातार गुटखे या तम्बाकू का सेवन आपके दांत, ढीले और कमजोर होने लगते है। बैक्टीरिया दांतों में जगह बना लेते हैं जिससे दांतों का रंग बदलने लगता है
- धीरे-धीरे दांत गलने भी लगते हैं ।
- तम्बाकू या गुटखा लगातार खाने वालों की जीभ, जबड़ों और गालों के अंदर सेंसेटिव सफेद पेच बनने लगते हैं और उसी से मुंह में कैंसर की शुरुआत होती है. जिसके बाद धीरे-धीरे मुंह का खुलना बंद हो जाता है और मुंह में कैंसर फैल जाता है।
- तम्बाकू और गुटखे से होने वाला नुकसान जिसे कैंसर कहते हैं वो सिर्फ मुंह तक ही नहीं रुकता बल्कि ये श्वासनली से होता हुआ फेफड़े तक पहुंच जाता है और इससे फेफड़े में भी कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
- तम्बाकू खाने से एसिडिटी की शिकायत होना भी लाजमी हो जाता है।