Hindi, asked by pa123r77, 7 months ago

गौतम बुद्ध कौन थे? हे भगवान बुद्ध क्यों कहा जाता है?​

Answers

Answered by purbirajput
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Explanation:

बौद्ध धर्म के संस्थापक

Answered by sapnakumare27271
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Explanation:

महात्मा बुद्ध का संक्षिप्त परिचय दीजिये ?

महात्मा बुद्ध बौद्ध धर्म के संस्थापक और महान समाज सुधारक थे। इनका वास्तविक नाम सिद्धार्थ था। इनको गौतम के नाम से भी पुकारा जाता था। आगे चलकर ये बुद्ध के नाम से अपने अनुयायियों व दुनिया में प्रतिष्ठित हुए।

बुद्ध का जन्म कब और कहाँ हुआ ?

गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व बैशाख पूर्णिमा के दिन कपिलवस्तु राज्य के लुम्बिनी ग्राम में हुआ।

बुद्ध के माता-पिता कौन थे ? पालन पोषण किसने किया?

-इनके पिता शुद्धोधन थे, जोकि शाक्य कुल के क्षत्रिय थे और कपिलवस्तु के राजा थे। कपिलवस्तु नेपाल की तराई क्षेत्र में स्थित छोटा राज्य था।

-माता का नाम महामाया था। जन्म के सातवें दिन ही माता का देहांत हो गया। अत: पालन-पोषण इनकी मौसी प्रजापति गौतमी ने किया।

सिद्धार्थ का विवाह किसके साथ हुआ? संतान का नाम ?

सिद्धार्थ का विवाह 16 वर्ष की अवस्था में यशोधरा के साथ हुआ, जोकि शाक्य कुल की कन्या थीं। यशोधरा से राहुल नाम का पुत्र भी उत्पन्न हुआ।

बुद्ध ने महाभिनिष्क्रमण क्यों और कब किया?

सांसारिक समस्याओं से व्यथित होकर सिद्धार्थ ने 29 वर्ष की अवस्था में गृह त्याग कर दिया। इस त्याग को बौद्ध धर्म में महाभिनिष्क्रमण के नाम से जाना जाता है।

बुद्ध ने प्रथम दीक्षा किससे ली?

गृहत्याग के उपरांत सिद्धार्थ सर्वप्रथम अनोमा नदी के तट पर ही पहुंचे थे। यहां पर उन्होंने अपने सिर को मुंडवाकर भिक्षुओं वाले काषाय वस्त्र धारण किए ।ज्ञान की खोज में सिद्धार्थ सबसे पहले वैशाली के अलार कलाम नामक संन्यासी के पास पहुंचे, जिन्होंने इन्हें सांख्य दर्शन की दीक्षा दी।

बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति कहाँ और कब हुई?

अलारकलाम के आश्रम के बाद सिद्धार्थ ने उरुवेला (बोधगया) के लिए ही प्रस्थान किया था, जहां इनकी कौडिन्य आदि पांच संन्यासियों से भेंट हुई। 35 वर्ष की अवस्था में, उरुवेला में ही निरंजना नदी के तट पर स्थित पीपल के वृक्ष के नीचे इन्हें ज्ञान का बोध हुआ। उस दिन बैसाख पूर्णिमा का दिन था।

सिद्धार्थ को बुद्ध के नाम का संबोधन क्यों मिला ?

उरुवेला में ज्ञान की प्राप्ति के बाद लोग इन्हें तथागत या बुद्ध (ज्ञानी) के नाम से संबोधित करने लगे। इस स्थान को भी आगे चलकर बोधगया के नाम से जाना गया।

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