"गोदी में पियवा जाग उठे सखिया" Meaning
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‘गोदी में पियवा, जाग उठे सखियां’। इन पंक्तियों का तात्पर्य यह है कि ‘नायिका के पिया अर्थात उसके प्रियतम तो उसके पास ही है, उसकी गोद में अपना सिर रखकर सोया है लेकिन नायिका अपने प्रियतम के प्रेम भाव में इतनी मग्न हो गई है कि उसे ऐसा प्रतीत होता है कि वह अकेली है और उसके पिया कहीं दूर हैं। इसलिए वह अचानक चौंकी जाती है।
‘बालगोबिन भगत’ पाठ में बाल गोविंद अपनी खंजड़ी बजाते हुए यह गाना गा रहे हैं... ‘गोदी में पियवा चमक उठे सखियां, चिहुँक न उठे ना’ इसके इस गीत के माध्यम से वह इस गीत को प्रतीक बनाकर वह अंधेरी रात में निस्तब्धता वाले शांत वातावरण में गाँव के लोगों को चौकन्ना करना चाहते हैं ताकि वह चोर आदि से सावधान रहें।
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