गाँधी जी कैसे भारत की कल्पना करते थे?
सपनों का भारत कैसा था?
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hola amigo
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gandhi ji swach, swasth aur brastachar mukt bhart chahte the.
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#BAL
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महात्मा गाँधी मानवमात्र के हित-चिन्तक थे। उनके आदर्शपुरुष थे- राम और उनका आदर्श राज्य था- रामराज्य। उन्होंने स्वच्छ और समर्थ भारत का सपना देखा था। भारत देश नहीं समस्त देशों का प्राण है। यह मूल रूप में कर्मभूमि है, भोगभूमि नहीं। भारत का ध्येय दूसरे देशों के ध्येय से कुछ अलग है। भारत में ऐसी योग्यता है कि वह अध्यात्म के क्षेत्र में दुनिया का प्रथप्रदर्शक हो सकता है। स्वच्छता से हमारा तात्पर्य बाह्य एवं अन्तः स्वच्छता से है। जब तक हमारा अन्तः करण स्वच्छ नहीं होगा तब तक बाह्य स्वच्छता एक दिखावा भर हो सकता है।
स्वस्थ एवं समर्थ दोनों अन्योन्याश्रित है। जब तक हम अभ्यन्तर और बाह्य रूप से स्वच्छ नहीं होंगे तब तक समर्थ होना सम्भव नहीं है। स्वच्छता चाहिए- पहले आन्तरिक उपरान्त बाह्य। जब हम आन्तरिक रूप से स्वच्छ होते हैं अर्थात ‘अध्यात्मिक’ रूप से तब हमें बाह्य रूप से अर्थात भौतिक रूप से भी सर्वत्र स्वच्छ ही स्वच्छ दिखाई पड़ने लगता है- जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि। गाँधी जी ने आजीवन इसी को साधने में अपना पूरा समय लगाया था।