Hindi, asked by laxmisahu07796, 2 months ago

गो धन गज धन बाजी धन और रतन धन खान जब आवे संतोष धन सब धन धूरि समान पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए​

Answers

Answered by snehashanbhag24
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Answer:

तुलसीदास जी कहते हैं कि मनुष्य के पास भले ही गौ रूपी धन हो, गज (हाथी) रूपी धन हो, वाजि (घोड़ा) रूपी धन हो और रत्न रूपी धन का भंडार हो, वह कभी संतुष्ट नहीं हो सकता। जब उसके पास सन्तोष रूपी धन आ जाता है, तो बाकी सभी धन उसके लिए धूल या मिट्टी के बराबर है। अर्थात् सन्तोष ही सबसे बड़ी सम्पत्ति है।

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