गांव की सैर निबंध please answer
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मेरा गाँव :
गाँव मे भारत की आत्मा बसती है। भारत की सभ्यता और संस्कृती के सच्चे दर्शन इन शहरों में नहीं बल्कि भारत के ये छोटे छोटे गाँवो में ही हो सकते है। गाँव का नाम सुनते है मन में शांति और खुशी की भावना जाग उठती है। कई शहरी लोग गाँव में सिर्फ सुख और शांति के लिए आते है। उन्हें गाँव का ज्यादा अनुभव नहीं होता है। गाँव का वातावरण ही ऐसा होता है की कोई भी यहाँ से वापस जाने का नाम नहीं लेता। गाँवो में शहरों की तरह सौर-सराबा, शहरों जितनी भाग दौड़, साधन के हॉर्न आदि कई चीज़ो का ज्यादा आवाज नहीं होता है। गाँव में बस मानवता और संबंधों को निभाने की सच्चाई ही नज़र आती है। मेरा गाँव गुजरात में बनासकांठा जिल्ले के दांतिवाड़ा तालुके मे है। मेरे गाँव का नाम राजकोट है।
मेरे गाँव का वर्णन :
गाँव चाहें कोई भी हो लेकिन सभी गाँव में एक जैसी सभ्यता और गाँव की रूप रेखा समान होती है। हमारे गाँव में लगभग तीन सौ जितने घरों की बस्ती है। यहाँ के मकान बहुत ही सुंदर है। अब तो गाँव में भी पक्के मकान होने लगे है, लेकिन पहले गाँव में वो मिट्टी के कच्चे मकान हुआ करते थे। अभी भी गाँव में ऐसे मिट्टी के मकान है जिसमें काफी ठंडक और शांति का अनुभव होता था। हमारे गाँव में जैसे ही प्रवेश करते है मतलब उत्तर दिशा में तो उस जगह नया 'पंचायत घर' है, उसके बाजु में ही हमारी प्राथमिक स्कूल है और स्कूल के बाजु में एक सरकारी अस्पताल है। वो तीनो ऐसे पासपास है तो ऐसा लगता है जैसे ये गाँव नहीं बल्कि कोई सरकारी जगह हैं। गाँव में थोड़े आगे बढ़ते है तो एक बड़ा शिवजी का मंदिर है जिसमें हर सुबह अच्छे अच्छे भजन सुनने को मिलते है। गाँव के बिचोबिच एक बड़ा सा ओटला (यानी की porch) है, जिसके बीच एक पीपल का पैड है और उसकी छाया का तो क्या कहना, आ हा हा हा! मजा आ जाए।गाँव में 5-6 छोटी छोटी दुकानें है। जहा हम हमारी जरूरी चीजें ख़रीद सकते है। गाँव से बाहर निकलते है वहा, मतलब दक्षिण की और एक दूध डेरी है। लोग अपनी गाय-भैसों का दूध सुबह शाम इस डेरी में भराने को आते है। हमारे गाँव में से दिन का करीब ढाई हजार लीटर दूध टर्न ओवर होता है। सचमुच, हमारा गाँव तो छोटा सा है लेकिन बहुत सुंदर है।
गाँव का जीवन:
ग्रामीण लोगों का जीवन सरलता भरा और सादगीमय होता है। गाँव में किशान सुबह सुबह अपने खेतों में चले जाते है और खेतों का काम निपटा के अपनी गाय-भैसों के लिए चारा लेके घर लौटते है। कई लोग सूर्योदय होते ही अपनी धौरी, गाय भैसों को लेकर निकल पड़ते है। लोगों का जो काम होता है उस काम के लिए वे निकल जाते है। गाँव के लोगों में विलास या दिखावे की भावना नहीं दिखती। फ़िर भी गाँव का जीवन मतलब स्वर्ग को प्राप्त करना। गाँव के लोग हर त्योहार एक दूसरे के साथ मिलके मनाते है। त्योहार में पुरा गाँव मिलके खुसिया मनाता है। गाँव में शहरों की तरह नहीं होता, शहरों में हर गली या घरों में अलग अलग त्योहार मनाते है। लेकिन गाँव का जीवन संतोष, सादगी, स्नेह और स्वाद में मिठास वाला होता है।
गाँव के जीवन में शुद्धता है। गाँव के स्वच्छ वातावरण की वजह से यहाँ बीमारी का कोई टेंशन नहीं है। बल्कि दिवाली या गर्मिओ की छुट्टीयाे में शहरी लोग सुख और शांति तथा खुशियाँ पाने के लिए गाँव की सैर करते है। यहाँ वे काफी दिन रुकते है और शांति का अनुभव करते है और फ़िर अपने अपने धंधे के लिए शहर चले जाते है। किसी बीमार व्यक्ति को शहर से गाँव लाया जाए तो आधी बीमारी तो उसकी गाँव के शुद्ध वातावरण से ही चली जाएगी।
युही नहीं बसती भारत की आत्मा, गाँव में। अरे! कुछ तो है इन गाँवो में तभी बस जाते है लोग इसकी छाँव में।
गाँव की प्रकृति :
गाँव की प्रकृति की तो क्या बात ही करनी! यहाँ छोटी सी नदिया और नाले में बारिस का पानी ऐसे कलकल आवाज करते हुए बहता है जैसे कोई मधुर सुर छेड़ रहा हो। प्रकृति की शोभा से हमें स्फुर्ति का अनुभव हो जाता है। हर ऋतु में यहाँ के लहराते हुए खेतों के बारे में तो क्या कहना। बारिश के सीजन में तो गाँव में हरियाली छा जाती है। वसंत ऋतु का सूर्योदय तो ऐसा होता है जैसे हम जन्नत में आ चुके है। वृक्षों की घटा में पंछियों के गीत, पपीहे की पुकार और कोयल की कुक सुनकर यहाँ की प्रकृति चारों कलाओ में खिल उठती है। यहाँ की प्रकृति से हम अपनी सारी परेशानिया भूल जाते है और अपने आप में शांति का अनुभव हो जाता है। गाँव की प्रकृति किसी यात्राधाम से कम नहीं है।
गाँव के रीत-रिवाज :
गाँव में हर की प्रेम भाव से साथ रहता है। यहाँ आने वाले मेहमान का स्वागत हर घर में होता है। यहाँ की शादी के रीत रिवाज बड़े ही अच्छे होते है। गाँव में हर साल मेला लगता है और उसमें हज़ारों लोग खुसिया बाटने आते है। मेले मे हर कोई मनोरंजन और मज़े से मिलते है। गाँव के लोगों का सरल जीवन और निर्दोष भाव से यहाँ अच्छाई के दर्शन होते है। गाँव की एक बार सैर करके देखो अगर जन्नत का अनुभव ना हो तो कहना।
गाँव के लोगों के बीच कभी कभी छोटी सी बात को लेकर कहा सुनी हो जाती है। लेकिन थोड़े दिनों मे सब कुछ भूलकर फ़िरसे एक हो जातें हैं। मेरे गाँव में कई लोग है जो गाँव को विकास की और ले जाने का कार्य कर रहे है, तो कई लोग गाँव में स्वच्छता बनी रहे उसके भी प्रयास करते है। मेरा गाँव एक बहुत ही अच्छा गाँव है। यहाँ प्रकृति की शोभा है, धर्म की छाया है और मानवता का प्रकाश है। भोले भाले लोग एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव से रहते है। मेरा गाँव मुझे बहुत प्यारा है।
गाँव सुख और सादगी मय जीवन का उदाहरण है। गाँव तो गाँव है। गाँव के जीवन में खुसियों की लहर है। मै फ़िरसे कहूँगा की मेरा गाँव मुझे बहुत ही प्यारा है।
Dhanyavaad!