गाय के प्रमुख आठ संस्थानों के नाम लिखिए
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1. साहिवाल: यह लम्बे सिर, छोटे सींग, मध्यम आकार, लाल रंग, ढीले चमड़े एवं लम्बे थनों वाली नस्ल है जो प्रति ब्याँत (300 दिन) लगभग 1900 लीटर दूध देने की क्षमता रखती है।
2. लाल सिन्धी- यह गहरे लाल एवं भूरे रंग की मध्यम आकार की गाय है, जिसका सींग छोटा तथा कान बड़ा होता है। यह प्रति ब्याँत लगभग 1600 लीटर दूध देती है।
3. गीर- यह सफेद चित्तियों से युक्त लाल रंग की मध्यम आकार की नस्ल है जो गुजरात की गीर पहाड़ियों में पायी जाती है जिसका सींग माध्यम आकार का, पीछे की ओर मुड़ा हुआ, कान लम्बे लटकते हुए एवं पूँछ कोड़े जैसी होती है। यह प्रति ब्याँत लगभग 1500 लीटर दूध देती है।
4. थपाकर- यह गठीले शरीर, लम्बा चेहरा, मध्यम आकार के सींग, लम्बे काले गच्छों से युक्त पूँछ एवं बड़े कान वाली गाय है जो राजस्थान के थार मरुस्थल एवं कच्छ में पाई जाती है। यह प्रति ब्याँत लगभग 2200 लीटर दूध देने की क्षमता रखती है।
दुकाजी नस्लों में हरियाणा, काॅकरेज एवं देवनी भी दूध उत्पादन की दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण है। हालाँकि हमारे राज्य की भौगोलिक एवं जलवायु की दृष्टिकोण से हरियाणा नस्ल की गाय उपयुक्त है।
5. हरियाणा नस्ल- इस नस्ल की गाय का रंग सफेद या हल्का धुसर, चेहरा लंबा एवं माथा चौड़ा, सींग छोटा अन्दर की तरफ मुड़ा हुआ और पूँछ लम्बी होती है। यह प्रति ब्याँत लगभग 900 लीटर दूध देती है।
इन नस्लों के अलावा हमारे देश में अधिक दूध देने वाली कुछ विदेशी नस्लें भी हैं जिनका देशी नस्लों के साथ संकरण कर अधिक दूध देने वाली संकर नस्लें तैयार की जाती हैं।
Answer:
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