Hindi, asked by seema194sanjay, 8 hours ago

(ग) यह प्रसाद है आर्य, कि यह शरीर नरक का साधन
है। यही बैकुण्ठ है। इसी को आश्रय करके नारायण
अपनी आनंद लीला प्रकट कर रहे हैं। आनन्द से
ही भुवन-मण्डल उद्भासित है। आनंद से ही विधाता
ने सृष्टि उत्पन्न की है। आनंद ही इसका उद्गम है,
आनंद ही इसका लक्ष्य है।​

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Answered by levienfieedi
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Answer:

good afternoon friends have a great day

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