Gadhya aur padhya me anter bataiye
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साहित्य की दो विधाएँ है जिसके अंतर्गत रचनाएं लिखी जाती है।
गद्य वह विधा है जिसके अन्तर्गत हम पत्र, निबंध, कहानी, उपन्यास संस्मरण, लेख आदि लिखते हैं।
इसके विपरीत पद्य वह विधा है जिसके अन्तर्गत हम कविता, काव्य, गाने, भजन व पद्य लिखते हैं।
पद्य में के रूप मैं हम निंबध नहीं लिख सकते हैं और गद्य के रूप में हम पद्य या कविता नहीं लिख सकते हैं। पद्य लय रूप में लिखा जा सकता है जिसको हम गायन रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं परन्तु गद्य को हम गायन रूप में प्रस्तुत नहीं कर सकते हैं। इसमें हम किसी विषय में लिख सकते हैं केवल उसे पढ़ा जा सकता है, गाने के रूप में नहीं गया जा सकता है। गद्य में अंलकारों का प्रयोग नहीं होता है लेकिन पद्य में रस, अंलकारों आदि का समावेश किया जा सकता है। पद्य में विभिन्न राग का प्रयोग कर इसे बहुत सुंदर शैली में गया जा सकता है गद्य में यह संभव नहीं हो सकता।
साहित्य की दो विधाएँ है जिसके अंतर्गत रचनाएं लिखी जाती है।
गद्य वह विधा है जिसके अन्तर्गत हम पत्र, निबंध, कहानी, उपन्यास संस्मरण, लेख आदि लिखते हैं।
इसके विपरीत पद्य वह विधा है जिसके अन्तर्गत हम कविता, काव्य, गाने, भजन व पद्य लिखते हैं।
पद्य में के रूप मैं हम निंबध नहीं लिख सकते हैं और गद्य के रूप में हम पद्य या कविता नहीं लिख सकते हैं। पद्य लय रूप में लिखा जा सकता है जिसको हम गायन रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं परन्तु गद्य को हम गायन रूप में प्रस्तुत नहीं कर सकते हैं। इसमें हम किसी विषय में लिख सकते हैं केवल उसे पढ़ा जा सकता है, गाने के रूप में नहीं गया जा सकता है। गद्य में अंलकारों का प्रयोग नहीं होता है लेकिन पद्य में रस, अंलकारों आदि का समावेश किया जा सकता है। पद्य में विभिन्न राग का प्रयोग कर इसे बहुत सुंदर शैली में गया जा सकता है गद्य में यह संभव नहीं हो सकता।
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