Gadi main sainik hota to 200 words
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अगर मैं सैनिक बन गया, तो मेरी मातृभूमि की ओर मेरा पहला और सबसे बड़ा कर्तव्य उसकी ईमानदारी और संप्रभुता को बचाने और अपने जीवन की कीमत पर भी, बाहर की दुश्मन ताक़तें से उसकी रक्षा करेगा।
एक सैनिक के रूप में, मुझे चरित्र में ईमानदार और ईमानदार, साहसी और बहादुर होना चाहिए, और जीवन में अनुशासित होना चाहिए। मुझे अपने वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों का पालन करना चाहिए और तत्काल और तत्काल।
यदि किसी भी समय, मेरे देश पर बाहरी बल से हमला किया जाता है, तो मेरा पहला कर्तव्य सीमा रेखा तक आगे बढ़ना होगा और निडरता से लड़ना होगा जब तक कि हमारे दुश्मनों को नष्ट नहीं किया जाता है, और हम अंततः लड़ाई जीतते हैं। मेरी मां और मेरी मातृभूमि स्वर्ग की तुलना में मेरे लिए अधिक पवित्र हैं। मैं दोनों को अपने दिल के मूल से समान रूप से पूजा करता हूं।
एक आदर्श सैनिक के रूप में, मेरा कर्तव्य भी मेरे देशवासियों के प्रति होगा। बाढ़, अकाल या भूकंप, या किसी अन्य प्राकृतिक आपदा के समय, उन पीड़ितों के लिए भागना मेरा ईमानदार कर्तव्य होगा जो मेरे भाइयों और बहनों के अलावा नहीं हैं। मैं अपने सहयोगियों के साथ सहयोग करता हूं, और देश में अचानक दिखाई देने वाले संकट के समय सेना में अपने वरिष्ठ अधिकारियों का पालन करता हूं।
मुझे लगता है कि एक व्यक्ति अपने देश को किसी भी अन्य स्थिति में रहने के बजाय एक सैनिक के रूप में बेहतर तरीके से सेवा दे सकता है।
■I HOPE IST HELP■
मेरी एक सैनिक बनने की अभिलाषा क्यों है, यह आप जानना चाहेंगे। वास्तव में मेरी यह अभिलाषा के साथ एक छोटी सी घटना भी जुड़ी हुई है। घटना इस प्रकार है। यह पिछले ही महीने की बात है मैं स्कूल में छुट्टी होने के बाद बस के लिए बस स्टैण्ड पर खड़ा था। उसी समय दो सैनिक अपने सामान को लेकर वहीं पर आ गए और मेरे साथ ही खड़े हो गए। कुछ समय पश्चात् बस आई और मैं तथा वे लोग उसी बस में सवार हो गए। उन दिनों बसों को अपने निश्चित स्थान पर बजे अवश्य ही पहुंचना होता था। बस जब भर गई और सारे लोग अपने-अपने स्थान पर बैठ गए तो बस चल पड़ी। बस अपनी गति से चल रही थी कि अचानक मेरे पेट में दर्द होने लगा। दर्द धीरे-धीरे बढ़ने लगा तथा मैं इसे सह न सका तो मेरे मुख से एक चीख निकल पड़ी ओर में उन सैनिको पर लुढ़क गया। मैं धीरे-धीरे होश खोता जा रहा था। बसमैं बैठे लोग मेरी तरफ पहले तो देखने लगे लेकिन की धीरे-धीरे वे मेरे प्रति ध्यान दिए बिना अपनी ही बातों मैं खो गए। लेकिन उन सैनिको मैं एक ने मुझे सहारा दिया तथा दूसरे ने मेरा सर अपनी गोदमैं रख लिया। अचानक मुझे कै हो गए। बस मैं बैठे अन्य लोग मुझे गृणा की द्रिष्टि से देखने लगे। ड्राइवर तथा कंडक्टर ने मुझे भला-बुरा भी कहा लेकिन मैं विवश से एक ने जिनकी मैं गोद में मेरा सिर था, धीरे से मेरा सिर उठाया और सीट पर रखा। उन्होंने बैंग से अपना तौलिया निकाला तथा पहले मेरा मुंह साफ किया और उसके बाद अपने कपड़े। पानी के लिए उनके पास सैनिकों का ही जैसा कपड़े का थैला था। ड्राइवर से बस रुकवाकर उन्होंने भली प्रकार से मुझे मुंह साफ करवाया तथा फिर ठीक प्रकार से अपनी ही गोद में मेरा सिर रखा। कै होने के बाद मैं धीरे-धीरे ठीक होने लगा। उनकी असुविधा के लिए मैंने उनसे क्षमा माँगी। लेकिन उन्होंने मुझे समझाया कि इसमें क्षमा की कोई बात नहीं। जीवन में कभी भी किसी के साथ इस प्रकार की घटनाएं हो जाती हैं लेकिन हमें अपने कर्तव्य का तो ध्यान रखना ही चाहिए। हमें तो इस प्रकार की सेवा-भावना सिखाई जाती है और यह हमारा कर्तव्य बनता है। उनकी इस बात का मुझ पर गहरा असर पड़ गया है और आज भी मैं इस बात के प्रति कृत-संकल्प हूं कि मैं जीवन में सैनिक ही बनूँगा और अपने जीवन को इनके ही आदर्श के अनुरूप ढालूगा।
if u r female then change the gender in paragraph.
thnx