गहरे पानी में पैठने से ही मोती मिलता हैं | आस वाक्य में निहित अभिप्राय को स्पष्ट कीजिये
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गहरे पानी मैं पैठने से ही मोती मिलता है, ये वाक्य कबीरदास जी द्वारा रचित एक दोहे के भावार्थ का एक भाग है।
गहरे पानी में पैठने से ही मोती मिलता है, इस वाक्य का अभिप्राय है कि हम प्रयत्न करेंगे तभी हमें सफलता प्राप्त होगी। गहरे पानी का उदाहरण कठिनाइयों के प्रतीक के रूप में व्यक्त किया गया है अर्थात हमें कठिनाइयों से न घबराते हुये निरंतर विपरीत परिस्थितयों से लड़ते रहना होगा और प्रयास करते रहना होगा तभी हमें जीवन में सफलता मिल सकती है।
एक गोताखोर को अगर मोती चाहिये होते हैं तो उसे गहरे पानी में छलांग लगानी ही पड़ती है, अगर वो पानी की गहराई से डरकर किनारे पर ही बैठा रहे तो उसे मोती नही मिलेंगे। अतः हमें कठिनाई रूपी गहरे पानी में छलांग लगाकर ही सफलता रूपी मोती ढूंढने होते हैं।
इसीलिये कबीरदास जी ने कहा है कि...
जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ,
मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ।
Answer:
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च) “गहरे पानी में पैठने से ही मोती मिलता है |”
१) वक्ता का परिचय दीजिये |
उत्तर: वक्ता रियासत देवगढ़ के दीवान सरदार सुजान सिंह है, जो एक किसान के भेष में है | उन्होंने यह रूप दीवानी पद के लिए आये हुए उम्मीदवारों की परीक्षा के लिए बनाया था | उनकी गाड़ी नाले में फँस गयी थी | वे स्वयं उसे नाले से निकाल नहीं पा रहे थे |