गणित के विकास में भारत का योगदान।
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संख्याओं पर आधारित खोजों एवं विकास की बात होती है, तो भारत की गणितीय परंपरा को शीर्ष पर रखा जाता है। भारत में हुई 'शून्य' एवं 'दशमलव' जैसी मूलभूत गणितीय खोजें इसका प्रमुख कारण मानी जाती हैं। इन मूलभूत खोजों ने गणित को ऐसा आधार प्रदान किया है, जिसके आधार पर सभ्यताओं के विकास का क्रम निरंतर आगे बढ़ रहा है।
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विश्व के महान गणितज्ञ'पुस्तक के लेखक गुणाकर मुले ने गणित की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए गणित को वेदांग शास्त्रों में शीर्ष पर रखा। गणित के बिना विज्ञान हीं नहीं ज्योतिषशास्त्र व धार्मिक यज्ञ व कर्मकांड भी अधूरे हैं। गणित के विकास व इसकी गुत्थी समझने के लिए प्राचीन भारत से लेकर वर्तमान तक भारतीय गणितज्ञों का योगदान रहा है। भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजम की जयंती पर गणित के शिक्षकों व छात्रों से हुई बातचीत पर आधारित रपट:-
उच्च माध्यमिक विद्यालय डुमरा के प्राचार्य सह गणित शिक्षक ब्रजमोहन मंडल कहते हैं कि गणित विज्ञान की रीढ़ है। इसके बिना ज्योतिषशास्त्र व धार्मिक यज्ञ भी अधूरे हैं। हमारी मान्यताओं में गणितीय गणना एक मानक है। भारतीय गणितज्ञ ईसा पूर्व से ही गणित के क्षेत्र में अपना अहम योगदान देते रहे हैं। राष्ट्रीय गणित दिवस के आयोजन से छात्रों के बीच गणित की महत्ता व रुझान बढ़ेगी। देश में ज्यामिति पर ध्यान कम है। न्यूटन ने कहा था कि गणित अथाह समुद्र है, मैंने तो किनारे पर बैठ केवल कंकड़-पत्थर चुने हैं।
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