Gaon Parivar ka itihas
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गाँव परिवार का इतिहास
ग्राम शब्द से ही गाँव बना है I जहाँ हरियाली ही हरियाली हो ,खुशियाँ ही खुशियाँ हो I शाम को धुल उडाती अपने बच्चे के लिए रंभाती गाय घर घुसती हों,और प्रत्येक छोटे बड़े घरों से धुंआ उड़ता हो उस धुंए की खुशबु में भी एक अजीब सा आनंद आता है I किसी के घर लकड़ी का चूल्हा जलता है तो कहीं कोयले का I शाम में चिड़िया चहचहाती है वह भी घोसले की ओर जाती है I
बच्चे भी खेल खेल मे चिड़ियों की तरह शब्द निकालते हैं और वे भी घर की ही ओर दौड़े हैं I किसान खेतों से लौटकर पैर हाथ धोकर आँगन में रखी चारपाई पे बैठकर सभी बच्चों की प्रतीक्षा करते हैं और बच्चे आकर उनके इर्द -गिर्द लटक जाते है I उसके बाद थोड़ी सी चाय वो कृषक पीता है और बच्चे गरम गरम रोटी आचार प्याज़ खाकर खुश होते रहते हैं Iजिस आनंद को ग्रामीण परिवेश में बिखेरा जाता है वो आनंद एक 5 स्टार होटल में कहाँ I खुशियाँ ही खुशियाँ हैं ग्रामीण परिवार में कही शादी हो विवाह हो , मुंडन हो ,उपनयन हो, लगता है जैसे ये मेरे घर का ही उत्सव हो Iग्राम गीत सुबह से सर्वत्र गुंजित होता है I
मानिनी के मान में ,मधूपों के तान में ,कृषक कन्या के गान में ,कृषकों की शान में ,कहाँ नहीं गाँव की खूबसूरती बिखरी पड़ी है I अतः अंत में
"धन्य धन्य हे ग्राम्य जीवन तुम कहाँ गए
देकर हमें शहरी जीवन "I