गरीबौ का शौषण आस पर अपने विचार लिखिए.
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- मजदूर को जिस दिन काम नहीं मिलता उस दिन उसे पेट भर खाना नसीब नहीं होता. उनकी इस बेबसी का फायदा बहुत से ठेकेदार उठाते हैं.
- हर रोज़ मजदूरी की लिए भटकने की बजाय मजबूरी में ठेकेदारों के यहां नियमित काम मिलने के लालच में कम मजदूरी पर उनको काम करते अक्सर देखा जा सकता हैं.
- सरकार ने न्यूनतम मज़दूरी का क़ानून तो बना दिया है.
- परन्तु इसका लाभ असंघठित क्षेत्र के मज़दूरों को नहीं मिल पा रहा.
- ऐसे मे जब तक देश के लोग पूजा पाठ के साथ मानवता को नहीं अपनाते, बेबस मज़दूरों और गरीबों का शोषण होता रहेगा.
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