Hindi, asked by urjita84, 1 year ago

गरमी की दोपहरी में
तपे हुए नम के नीचे
काली सड़के तारकोल की
अंगारे सी जली पड़ी थीं
छाँह जली थी पेड़ों की भी
पत्ते झुलस गए थे
नंगे-नंगे दीर्घकाय, कंकालों से वृक्ष खड़े थे
हो अकाल के ज्यों अवतार।
एक अकेला ताँगा था दूरी पर
कोचवान की काली-सी चाबुक के बल पर वो बढ़ता था
घूम-घूम जो बलखाती थी सर्प सरीखी
बेदर्दी से पड़ती थी दुबले घोड़े की गरम पीठ पर
भाग रहा वह तारकोल की जली
अँगीठी के ऊपर से।
कभी एक ग्रामीण धरे कंधे पर लाठी
सुख-दुख की मोटी-सी गठरी
लिए पीठ पर भारी
जूते फटे हुए
जिनमें से थी झाँक रही गाँवों की आत्मा

ਇਸ ਮੇ ਕੋਣ ਸੈ ਮੌਸਮ ਕੀ ਬਾਤ ਕੀ ਗਈ ਹੈ ੳਸਕਾ ਮਾਨਵ ਜੀਵਨ ਪਰ ਕੀ ਪਰਵਾਬ ਹੈ​

Answers

Answered by RoyChoudhury
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इस दुनिया में गर्मी का मौसम चल रहा है। मानव जीवन पर इसका बहुत ग़लत प्रभाव पड़ता है। इसके कारण से लोगो का अपने घरों से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है। सड़के अंगारो की तरह तप रहीं हैं और सभी पेड़ों के पत्ते झुलस गए हैं। लोगों को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

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