garmio ki chuttiyo MA aap shaprebar jha gya, anuched likha
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गर्मियों की छुट्टियां सबसे आनंदमय दिन होते है इन दिनों में गर्मी के कारण स्कूलों की छुट्टियां कर दी जाती है जिसे हम बच्चे बहुत खुश होते है क्योंकि इस समय पढ़ाई लिखाई का कोई बोझ नहीं होता सिर्फ खेलना और हंसी मजाक करना होता है इसलिए मुझे गर्मियों की छुट्टियां बहुत अच्छी लगती है.
इस बार की गर्मियों की छुट्टियों में मैं अपने नाना नानी के घर गया वहां पर मैंने खूब मस्ती की मेरे नाना मुझे सुबह बगीचे में खेलने के लिए लेकर जाते और मैं जब शाम को आते तो मेरे लिए बहुत सारी चॉकलेट और आइसक्रीम लेकर आते. वहां पर मैंने कुछ नए दोस्त भी बना लिए जिनके साथ में रोज खेलता था.
वहां पर मेरे छोटे पिकनिक पर भी गया जो कि मेरे लिए बहुत रोमांचक था छुट्टियों के आखिरी दिनों में मैं घर आ गया और स्कूल का कार्य किया. इस गर्मियों की छुट्टियां मेरे लिए सबसे यादगार पल थे.इस बार की गर्मी की छुट्टियां बहुत यादगार रही क्योंकि इस बार हमारा पूरा परिवार गर्मी की छुट्टियां मनाने तमिलनाडु के ऊटी शहर गए थे. पिताजी ने इसकी तैयारियां लगभग 1 महीने पहले ही कर ली थी उन्होंने ट्रेन की टिकट बुक करवा दी थी.
ट्रेन से सफर करने का एक अलग ही मजा है क्योंकि ट्रेन खेत जंगल पहाड़ इत्यादि रास्तों से होकर गुजरती है जिससे देखने का बहुत मजा आता है और इसमें सफर आरामदायक भी होता है. ट्रेन के सफर में हमने समय बिताने के लिए अंताक्षरी खेली जिसमें बहुत आनंद आया.
पिताजी हमें बीच बीच में आने वाले शहरों और गांव के नाम बता रहे थे साथ ही वे वहां की परंपरा और संस्कृति के बारे में भी बता रहे थे जो मुझे जानकर बहुत ही रोचक लगा. यह बहुत ही रोमांचक सफर था क्योंकि इसमें घूमने के साथ-साथ शिक्षा भी मिल रही थी.
लगभग 2 दिन के पश्चात हम ऊटी शहर पहुंच गए, यह अन्य शहरों की तुलना में बहुत ही अलग था. यहां की हरी-भरी सुंदर वादियां मन को मोह लेती है. ऊटी शहर तमिलनाडु का प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है. यहां पर हम लगभग 1 सप्ताह रहे.
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वहां पर पहले दिन हमने नीलगिरी की पहाड़ियों में चलने वाली भाप के इंजन वाली ट्रेन में बैठकर वहां के जंगलों की सुंदरता देखी ट्रेन बहुत ही धीरे चल रही थी और ठंडी-ठंडी हवा चल रही थी इस नजारे को देखकर सब उत्सुक थे और सभी के मुख पर एक अलग सी खुशी थी.
इसके बाद हम ऊटी बोट हाउस गए वहां पर हमें एक दिन बिताया जिसमें हमें बहुत आनंद आया क्योंकि यहां का वातावरण बहुत ही शांत और सुंदरता पानी में रंग बिरंगी मछलियां तैर रही थी.
इसके बाद हमने वहां का रोज गार्डन, बोटैनिकल गार्डन, थ्रेड गार्डन का भ्रमण किया यहां पर रंग बिरंगी फूलों के बगीचे लगे हुए थे जिनसे पूरा वातावरण महक रहा था. इसके बाद हमने कलहट्टी का झरना देखा जो बहुत ऊंचा और सुंदर था.
अंतिम दिन घूमने पन्ना झील के किनारे पिकनिक के लिए गए. यह झील अत्यधिक सुंदर है यहां का नीला जल आंखों को ठंडक देता है.
इस तरह मैंने गर्मियों की छुट्टियों का आनंद उठाया.
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हमारा परिवार दिल्ली शहर में रहता है हर बार की तरह इस बार भी गर्मी की छुट्टियां आने वाली है. हमारे स्कूल के सभी विद्यार्थी अलग अलग स्थान पर जाने की बात कर रहे है. देखते ही देखते हैं कब छुट्टियों के दिन आ गए पता ही नहीं चला हमने इस बार की छुट्टियों का कोई प्लान नहीं बनाया है.
इसलिए मैं और मेरी छोटी बहन अपने दादा-दादी के पास जा रहे है जो कि हमारी पैतृक गांव.में रहते है. गांव का रहन सहन बहुत ही साधारण है यहां का वातावरण शांत ठंडा और भीड़ रही है जिसके कारण हमें यहां पर आना अच्छा लगता है.
मेरे दादाजी रोज सुबह उठ कर हमें खेत की शहर कराने जाते हैं वहां पर सुबह ठंडी-ठंडी हवा चलती है चिड़ियों की चह चाहट मन मोह लेती है. किसान फसल को पानी दे रहे होते है गाय भैंस बकरी इधर-उधर चहल कदमी करते रहते है इतना मनमोहक नजारा हमें दिल्ली शहर में तो देखने को ही नहीं मिलता है.
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खेतों में दादा जी हमें अन्य किसानों से परिचय करवाते है वहां के किसान बहुत अच्छे है उन्होंने हमें पानी पिलाया और खेत में से गन्ना ला कर दिया जो कि खाने में बहुत स्वादिष्ट था.
दोपहर होने से पहले हम घर आ जाते हैं और स्वादिष्ट भोजन करते है साथ ही पीने के लिए दही छाछ और रबड़ी मिलती है जो कि गर्मी को कम कर देती है.
शाम को हम दोस्तों के साथ खेलने चले जाते है वहां पर हमने प्रकार के खेल खेलते है जैसे गिल्ली डंडा, चोर पुलिस, गेंद मार, क्रिकेट इत्यादि खेलते है. खेल खेल में बहुत मजा आता है और शाम तक हम बहुत थक जाते हैं इसलिए वापस घर चले जाते है.
शाम को भोजन करने के पश्चात दादा-दादी हमें नई-नई रोचक कहानियां सुनाते है साथ ही हमें पुराने जमाने की रोचक बातें भी बताते है जैसे हमारे ज्ञान में वृद्धि होती है और मजा भी आता है.
कभी-कभी दादी हमें मंदिर लेकर जाती है जहां का माहौल एकदम शांत होता है मंदिर की घंटियां मीठी-मीठी धुन सुनाती है. मंदिर के पुजारी जी बहुत अच्छे हैं वह हमें बहुत प्यार करते है और नई नई कहानियां सुनाते है. पुजारी जी ने हमें बताया कि कल मंदिर में बहुत बड़े मेले का आयोजन होने वाला है यह सुनकर तो हम फूले नहीं समा रहे थे.
बस फिर क्या था दूसरे दिन का इंतजार था. दूसरे दिन दादा जी ने मुझे कंधे पर बिठाया और मेले की सैर कराने निकल पड़े. मेला बहुत ही सुंदर सजा था कहीं कोई नाच गा रहा है तो कहीं कोई झूल झूल रहा है.