गतिक घर्षण एवं लुढ़कने वाले घर्षण में अन्तर बताइए।
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गतिक घर्षण :
* जब परस्पर सम्पर्क में आये दो तलों के बीच आपेक्षिक गति प्रारम्भ हो जाती है तो तलों के बीच लगने वाला घर्षण बल घट जाता है, तथा अब एकसमान गति बनाये रखने के लिए कुछ कम परिमाण के बल की आवश्यकता होती है गति के दौरान तलों के बीच लगने वाले घर्षण बल को 'गतिक घर्षण बल' कहते हैं तथा इसका मान सीमान्त स्थैतिक घर्षण बल से कम होता है। गति आरम्भ होने के क्षण सीमान्त घर्षण बल का मान घटकर स्वत: गतिक घर्षण बल के बराबर हो जाता है। इस प्रकार जब गुटका एकसमान गति में होता है,
* इसका मान, परस्पर सम्पर्क में आये दोनों तलों की प्रकृति पर निर्भर करता है। चिकने तलों के लिए, कम तथा खुरदरे तलों के लिए अधिक होता है।
* गतिक घर्षण गुणांक का मान स्थैतिक घर्षण गुणांक की तुलना में थोड़ा ही कम होता है। पिण्ड पर लगने वाले गतिक घर्षण का मान लगभग नियत रहता है। यह पिण्ड की चाल पर निर्भर नहीं करता है।
लुढ़कने वाले घर्षण :
* वह फिसलने वाला घर्षण बल होगा। यह दो ठोस सतहों के संपर्क क्षेत्र में होता है जब शरीर एक दूसरे के सापेक्ष स्लाइड करते हैं। यह बल स्थैतिक घर्षण के बल की तुलना में परिमाण में हमेशा छोटा होता है, लेकिन यह संपर्क क्षेत्र पर भी निर्भर नहीं करता है।
बाकी घर्षण के लिए स्लाइडिंग घर्षण बल के कारण समान हैं। फिसलने की ख़ासियत केवल इस तथ्य में निहित है कि आंदोलन की प्रक्रिया में सूक्ष्म चोटियों और सतहों के गर्तों के पास दृढ़ता से ख़राब होने और एक दूसरे के साथ निकट यांत्रिक संपर्क बनाने का समय नहीं है। इसलिए, एक ही जोड़ी निकायों के लिए बाकी पर पर्ची बल घर्षण बल से कम है।