गद्यांश की व्याख्या सुंदर प्रसंग विशेष साहित्य के इतिहास साक्षी है बहुत बार अनेक चने नहीं भीड़ पर का है और ऐसा तोड़ा है कि भीड़ में खिलकर ही नहीं हो गया इसका निशा तक ऐसा छूमंतर हुआ कि कोई आप ही ना जान पाया कि वह बेचारा आखिर कहा था
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गद्यांश की व्याख्या सुंदर प्रसंग विशेष साहित्य के इतिहास साक्षी है बहुत बार अनेक चने नहीं भीड़ पर का है और ऐसा तोड़ा है कि भीड़ में खिलकर ही नहीं हो गया इसका निशा तक ऐसा छूमंतर हुआ कि कोई आप ही ना जान पाया कि वह बेचारा आखिर कहा था
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