गद्यांश में उल्लेखित नगर
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निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इस पर आधारित प्रश्नों के उचित उत्तर दीजिए
जिंदगी को मौत के पंजों से मुक्त कर उसे अमर बनाने के लिए आदमी ने पहाड़ काटा है। किस तरह इंसान की विशेषताओं की कहानी सदियों बाद आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाई जायें। इसके लिए आदमी ने कितनी युक्तियां सोची और उन्हें किया। उसने चट्टानों पर अपने संदेश खोदे, ताडों से ऊंचे, धातुओं से चिकने पत्थर के खंभे खड़े किए, तांबे और पीतल के पत्थरों पर अक्षरा के मोती बिखेरे और उसके जीवन- मरण की कहानी सदियों के उतार पर सरकती चली आयी, चली आ रही है, जो आज हमारी अमानत- विरासत बन गई है।
आज से कोई लगभग सवा हज़ार साल पहले से ही हमारे देश में पहाड़ काटकर मंदिर बनाने की परिपाटी चल पड़ी थी। अजंता की गुफाएं पहाड़ काटकर बनाई जाने वाली देश की सबसे प्राचीन गुफाओं में से हैं, जैसे एलोरा और एलीफेंटा की सबसे पिछले काल की देश की गुफाओं या गुहा- मंदिरों में सबसे विख्यात अजंता के हैं, जिसकी दीवारों और छतों पर अंकित चित्र दुनिया के नमूने बन गए हैं। चीन के तुन- हुआंग और श्रीलंका के सिमिरिया की पहाड़ियां दीवारों पर उसी के नमूने के चित्र नकल कर लिए गए थे और जब अजंता के चित्रों ने विदेशों को इस प्रकार अपने प्रभाव से निहाल किया तब भला अपने देश के नगर- देहात और उनके प्रभाव से कैसे निहाल ना होते बाघ और सित्तनवासल की गुफाएं उसी अजंता की परंपरा में है, जिनकी दीवारों पर जैसे प्रेम और दया की एक दुनिया ही सिरज गई है।
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