गद्यांश और पद्यांश के संदर्भ प्रसंग
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असल प्रकाश तो हमारे जीवन में छिपा है - सृजन का प्रकाश ! आदमी का आचरण, आदमी का शील, आदमी का श्रम, आदमी का विवेक और आदमी की भावना जिसे छू लें वह प्रकाशित हो जाए । बड़े बड़े अंधेरों को तराश कर ये प्रकाश निर्झर बहा दें।
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