(घ) बसंती हवा का वर्णन कीजिए।
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उसे किसी बात की फ़िक्र नहीं होती। वह ऐसी मुसाफ़िर है जो जहाँ चाहे वहाँ घूमती है। बसंती हवा का कोई घर नही, प्रेमी नहीं और न कोई दुश्मन है। वह घूमते घूमते शहर, गाँव, बस्ती, नदी, रेत, निर्जन, हरे खेत, पोखर में चली जाती है।
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