(घ) ईश्वर अलेपा क्यों है?
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NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 8 हे भूख! मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर
April 8, 2019 by Bhagya
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NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 8 हे भूख! मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
कविता के साथ
प्रश्न. 1.
लक्ष्य प्राप्ति में इंद्रियाँ बाधक होती हैं-इसके संदर्भ में अपने तर्क दीजिए।
उत्तर:
लक्ष्य प्राप्ति में इंद्रियाँ बाधक होती हैं। मनुष्य की इंद्रियों का कार्य है-स्वयं को तृप्त करना। इनकी तृप्ति के चक्कर में मनुष्य जीवन भर भटकता रहता है। इंद्रियाँ मनुष्य को भ्रमित करती हैं तथा उसे कर्महीनता की तरफ प्रेरित करती हैं। इसके लिए इंद्रियों पर नियंत्रण रखना आवश्यक है। किसी लक्ष्य को तभी प्राप्त किया जा सकता है जब मन में एकाग्रता हो तथा इंद्रियों को वश में रखकर परिश्रम किया जाए। प्रत्येक लक्ष्य में इंद्रियाँ बाधक बनती हैं, परंतु बुदधि द्वारा उनको वश में किया जा सकता है।
प्रश्न. 2.
ओ चराचर! मत चूक अवसर-इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
यह पंक्ति अक्कमहादेवी अपने प्रथम वचन में उस समय कहती हैं जब वे अपने समस्त विकारों को शांत हो जाने के लिए। कह चुकी हैं। इसका आशय है कि इंद्रियों के सुख के लिए भाग-दौड़ बंद करने के पश्चात् ईश्वर प्राप्ति का मार्ग सरल हो जाता है। अतः चराचर (जड़-चेतन) को संबोधित कर कहती हैं कि तू इस मौके को मत खोना। विकारों की शांति के पश्चात् ईश्वर प्राप्ति का अवसर तुम्हारे हाथ में है, इसका सदुपयोग करो।
प्रश्न. 3.
ईश्वर के लिए किस दृष्टांत का प्रयोग किया गया है। ईश्वर और उसके साम्य का आधार बताइए।
उत्तर:
ईश्वर के लिए जूही के फूल का दृष्टांत दिया गया है। जूही का फूल कोमल, सात्विक, सुगंधित व श्वेत होता है। यह लोगों का मन मोह लेता है। वह बिना किसी भेदभाव के सबको खुशबू बाँटता है। इसी तरह ईश्वर भी सभी प्राणियों को आनंद देता है। वह कोई भेदभाव नहीं करता तथा सबका कल्याण करता है।
प्रश्न. 4.
अपना घर से क्या तात्पर्य है? इसे भूलने की बात क्यों कही गई है?
उत्तर:
अपना घर से तात्पर्य सांसारिक मोह-माया से है। संसार की वह चीजें जो हमें अपने-आप में उलझा लेती हैं, जिनसे हम प्रेम करते हैं वे हमारे ईश्वर प्राप्ति के मार्ग में बाधक होती हैं। यदि हम उन्हें भूल जाएँ तो ईश्वर की ओर हमारा मन पूरी एकाग्रता के साथ लगता है। इसीलिए उन्हें भूल जाने की बात कही गई है।
प्रश्न. 5.
दूसरे वचन में ईश्वर से क्या कामना की गई है और क्यों?
उत्तर:
दूसरे वचन में ईश्वर से सब कुछ छीन लेने की कामना की गई है। कवयित्री ईश्वर से प्रार्थना करती है कि वह उससे सभी तरह के भौतिक साधन, संबंध छीन ले। वह ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न करे कि वह भीख माँगने के लिए मजबूर हो जाए। इससे उसका अहभाव नष्ट हो जाएगा। दूसरे, भूख मिटाने के लिए जब वह झोली फैलाए तो उसे भीख न मिले। अगर कोई देने के लिए आगे आए तो वह भीख नीचे गिर जाए। जमीन पर गिरी भीख को भी कुत्ता झपटकर ले जाए। वस्तुत: कवयित्री ईश्वर से सांसारिक लगाव को समाप्त करने के लिए कामना करती है ताकि वह ईश्वर में ध्यान एकाग्र भाव से लगा सके।
Explanation:
Answer:
if it's helpful so please give me a heart
Explanation:
एक महात्मा से किसी ने पूछा- 'ईश्वर का स्वरूप क्या है?'
एक महात्मा से किसी ने पूछा- 'ईश्वर का स्वरूप क्या है?'महात्मा ने उसी से पूछ दिया-'तुम अपना स्वरूप जानते हो?'
एक महात्मा से किसी ने पूछा- 'ईश्वर का स्वरूप क्या है?'महात्मा ने उसी से पूछ दिया-'तुम अपना स्वरूप जानते हो?'वह बोला- 'नहीं जानता।'
एक महात्मा से किसी ने पूछा- 'ईश्वर का स्वरूप क्या है?'महात्मा ने उसी से पूछ दिया-'तुम अपना स्वरूप जानते हो?'वह बोला- 'नहीं जानता।'तब महात्मा ने कहा- 'अपने स्वरूप को जानते नहीं जो साढ़े तीन हाथ के शरीर में 'मैं-मैं कर रहा है और संपूर्ण विश्व के अधिष्ठान परमात्मा को जानने चले हो। पहले अपने को जान लो, तब परमात्मा को तुरंत जान जाओगे।