(घ) कुम्भनदास कौन थे? उनका जूता कैसे घिस गया था?
रास्ता पछने के लिए रुके एक व्यक्ति का एक बजर्ग से है
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आवत जात पन्हइयाँ घिस गईं बिसरि गयौ हरिनाम।। प्रेमचंद के फटे जूते के संदर्भ में कुंभनदास के प्रसंग का उल्लेख किया गया है। प्रेमचंद रूढ़िवादी परम्पराओं को ठोकर मारते थे इसलिए उनके जूते फट गए, परन्तु समाज नहीं बदला।
व्यक्ति: हेलो अंकल , क्या आप मुझे बता सकते है , यह रास्ता कहाँ जाता है ?? बुजुर्ग: हाँ जी बेटा , बताओ आप को कहाँ जाना है ? व्यक्ति: अंकल मुझे शिमला के बस स्टैंड जाना है ? बुजुर्ग: अच्छा ,पर यह रास्ता बस स्टैंड की और नहीं जाता है ?
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