घ) 'नीलाश्वः' में समास है-
(अ) द्वन्द्व समास
(स) बहुव्रीहि समास
(ब) कर्मधारय समास
(द) तत्पुरुष समास
Answers
Explanation:
समस्त-पद विग्रह
विषधर (विष को धारण करने वाला (सर्प)
मृगनयनी मृग के समान नयन हैं जिसके अर्थात सुंदर स्त्री
त्रिलोचन तीन लोचन हैं जिसके अर्थात शिव
महावीर महान वीर है जो अर्थात हनुमान
(अ) द्वन्द्व समास → जिस समस्त पद में दोनों पद प्रधान हों तथा प्रत्येक दो पदों के बीच और, एवं, तथा, या, अथवा में से किसी एक का लोप पाया जाये उसे द्वन्द्व समास कहते हैं। द्वन्द्व समास के समस्त पद में दोनों पद योजक चिह्न से जुड़े रहते हैं। दोनों पद प्रधान होते हैं।
(स) बहुव्रीहि समास → समानाधिकरण बहुव्रीहि : इसमें जिन पदों का समास होता है, वे साधारणतः कर्ताकारक होते हैं; किन्तु समस्तपद द्वारा जो अन्य उक्त होता है, वह कर्म, करण, सम्प्रदान, अपादान, सम्बन्ध, अधिकरण आदि विभक्ति रूपों में भी उक्त हो सकता है।
(ब) कर्मधारय समास → कर्मधारय समास जिसका पहला पद विशेषण और दूसरा पद विशेष्य अथवा एक पद उपमान तथा दूसरा पद उपमेय हो तो, वह 'कर्मधारय समास' कहलाता है। विशेषण–विशेष्य : नीलकमल – नीला है जो कमल
(द) तत्पुरुष समास → वह समास, जिसका उत्तरपद या अंतिम पद प्रधान हो। अर्थात् प्रथम पद गौण हो और उत्तरपद की प्रधानता हो। जैसे–राजकुमार सख्त बीमार था।