घाटी के बादल कविता सारांश
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कवि ने दुर्गम बर्फानी घाटी पर विचरण करने वाले कस्तूरी हिरणों का वर्णन किया है . हिरण की नाभी पर कस्तूरी की सुगंध आने पर वह दौड़ - दौड़ कर इधर उधर ढूंढ रहा है . कवि कहता है कि हिमालय पर्वत की इतनी ऊँचाई पर होने के कारण धन के स्वामी कुबेर की नगरी अलकापुरी नहीं मिली . कालिदास के मेघदूत का मेघ भी बहुत खोजने पर नहीं मिला .
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