Hindi, asked by Anonymous, 1 year ago

घायल सैनिक की आत्मकथा 100 से 200 शब्दों में.

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Answered by HridayAg0102
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मै एक सैनिक हूँ | मेरा नाम बलवन्त सिह है | मै हरियाणा प्रान्त के एक गाँव पौलंगी का रहने वाला हूँ | मेरे पूर्वज शौर्य के प्रतीक थे | वे भी मिलिट्री के जवान रह चुके है | बचपन में मै उनके शौर्य तथा बलिदान की गाथा सुनता रहता था | उनकी इन शौर्य –गाथाओ को सुन –सुन कर ही मेरे मन में भी सेना में भरती होने की इच्छा जागी थी |

सन 1965 का नवम्बर मास था | ह्मारे पड़ोसी देश पाकिस्तान की नियत पर हमको सन्देह हो रहा था कि वह हमारे देश पर आक्रमण करने की तैयारी कर रहा है | हमारी सरकार ने भी अपनी सेना को सशक्त करने के उद्देश्य से सेना में भर्ती बढ़ाने के लिए आह्वान किया था | मेरा मन उत्साह से भर उठा था | मै अपनी माता जी से आशीर्वाद लेकर दिल्ली आ पहुँचा | अगले दिन मै सेना के भर्ती – कार्यालय में जा पहुँचा तो वहाँ देखा कि हजारो युवक भर्ती होने के लिए पंक्तियों में खड़े थे | स्वास्थ्य के बाद मै सेना में भर्ती हो गया | कुछ दिनों मेरी ट्रेनिग परेड हुई | उसमे मुझे जल्दी ही सफलता मिल गई | मुझे ट्रेनिग का प्रमाण – पत्र भी मिल गया |

एक दिन मुझे अपने नायक के साथ – उस चौकी पर भेज दिया जहाँ बहुत कदा संघर्ष हो रहा था | मैंने अपने साथियो के साथ डट कर मुकाबला किया तथा अपने गोलियों के दम पर उनको पीछे ढकेल दिया | इस कड़े संघर्ष में हमारी टुकड़ी के कई जवान मारे गए थे | मेरे मन में बहुत इच्छा थी कि मै उस लड़ाई में शहीद होकर उष कमाऊ तथा अपने देश तथा माता- पिता का नाम ऊचा करूँ | परन्तु विजय तो मुझे जीवित रहते हुए ही मिल गई थी | यह भी मेरे गौरव की बात थी | इतना अवश्य है कि मुझे वहाँ दो दिन तक कड़ा संघर्ष करना पड़ा था | 24 घण्टे तक तो खाना – पीना भी नसीब नही हुआ | फिर भी दिल में संघर्ष करने धुन थी | अंत में विजयश्री तो हमारे ही हाथ लगी |

जब मै कभी उस मोर्चे के दृश्य को अपने आँखों के सामने पाता हूँ तो मेरे मन में फिर से लड़ने की एक हिलोर – सी उठती है कि फिर जाऊ और शत्रु के दांत खट्टे करके आऊँ | यदि ऐसी ही भावना प्रत्येक भारतीय के हृदय में भर जाए तो मेरा विश्वस है कि शत्रु हमारा कुछ नही बिगाड़ सकता है |

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HridayAg0102: Please mark my answer as brainliest
Anonymous: yes sure. Thanx for ur answer.
Answered by Priatouri
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मैं एक घायल सैनिक हूँ I मेरा नाम राजवीर सिंह है I मैं हरियाणा के पानीपत गांव का रहने वाला हूँ I मैंने भारतवर्ष के लिए कई सारी जंगो में हिस्सा लिया I आज भी युद्ध लड़ते समय मुझे दुश्मन की गोली लग गई जिस वजह मैं एक पैर से चल नहीं पा रहा हूँ I मुझे मेरे जवान दोस्तों ने बचाया और अब मैं एक मिलिट्री कैंप के अस्पताल में भर्ती हूँ I मैं इस समय बहुत दुखी महसूस कर रहा हूँ  कि मैं अपने देश की रक्षा के लिए नहीं जा पा रहा हूँ I मैं आशा करता हूँ कि हम यह जंग जीत जाए और हमारा देश दुश्मनों की बुरी नजर से बचा रहे I

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