घायल सैनिक की आत्मकथा
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मैं एक घायल सैनिक हूं मैं अपने देश की सुरक्षा करते-करते घायल हो गया हूं लेकिन मुझे गर्व है कि मैं अपने देश के लिए कुछ ना कुछ तो काम आया. देश के दुश्मन हमारे देश पर आक्रमण कर रहे थे मैंने अपनी जान की बिल्कुल भी परवाह नहीं की और उनसे मुकाबला करके उनको भगा दिया भले ही इसमें मैं घायल हो गया हूं लेकिन मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि मैं देश के लिए अपने आपको समर्पित समझता हूं.
मैं जब छोटा था तब यही सोचा करता था कि एक दिन सैनिक बनकर अपना अपने परिवार वालों और अपने गांव वालों का नाम रोशन करूंगा मेरे पिताजी भी एक सैनिक थे उनके अंदर भी देश को सुरक्षित रखने के प्रति जोश और जुनून था वह भी कभी देश की सुरक्षा के लिए पीछे नहीं हटे वह देश की सुरक्षा के लिए अपने कदम आगे बढ़ाते गए मेरे पिताजी के पिताजी भी एक सैनिक थे जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया और हम सभी को आजादी दिलाने में मदद की. मैं बहुत ही खुशनसीब समझता हूं अपने आपको की मैं आज देश का सैनिक हूं.
मैं जब स्कूल में पढ़ता था तो मेरे दोस्त अक्सर बड़े होकर कुछ बनने की बातें किया करते थे कोई
डॉक्टर, इंजीनियर, मास्टर, बड़ा बिजनेसमैन बनने की सोचता था और पैसा कमाने की सोचता था लेकिन मेरे लिए ये सब कुछ भी ज्यादा मायने नहीं रखता था क्योंकि मैं एक सैनिक का लड़का था मेरे खून में सिर्फ और सिर्फ एक ऐसा उबाला था जो दुश्मनों से सामना करने के लिए ही बना था मैं अक्सर अपने दोस्तों से कहता था कि मैं अपने दुश्मनों के छक्के छुड़ा दूंगा और एक दिन अपने देश का नाम बहुत ऊंचा करूंगा.