Hindi, asked by Anonymous, 3 months ago

घर की
ने
पाँचवाँ मैं हूँ अभागा,
जिसे सोने पर सुहागा,
पिता जी कहते रहे हैं
प्यार में बहते रहे हैं
पिता जी ने कहा ह
हाय, कितना सहा ह
कहाँ, मैं रोता कहाँ
धीर मैं खोता, कहा
हे सजीले हरे
हे कि मेरे पुण्य
आज उनके स्वर्ण बेटे.
लगे होंगे उन्हें हेटे,
क्योंकि मैं उनपर सुहागा
बँधा बैठा हूँ अभागा,
तुम बरस लो वे न
पाँचवें को वे न
और माँ ने कहा होगा,
मैं मजे में हूँ​

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Answered by aashi7538
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Answer:

महान

Explanation:

So much thank you for this poem.

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