घर में भी लड़कियों का क्या महत्व है
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हर तरफ कन्या भ्रूण हत्या के सम्बन्ध में बहस चल रही है........... सब कहते हैं कन्या बचाओ.......... पर तब तक जब तक की दुसरे ने बचानी है....... लोगों को मैंने बहुत पास से देखा की वो कहते है......... चल यार तेरे घर लक्ष्मी आ गयी............. पर जब उसके खुद के घर की बात होती है ............ तो वो कहता है....... की लड़का ही होना चाहिए............ बाकि तो हम बहु को भी बेटी ही मानने वाले परिवार के है...... तो बेटा होगा तो बेटी तो बहु के रूप में आ ही जाएगी.......
अर्थात कुल मिलकर हम एक स्त्री का प्रवेश एक बेटी के तौर पर अपने घर में नहीं चाहते हैं........ पर जब बोलने का मौका और मंच मिलता है....... हम चिल्लाने लगते हैं....... की बचाओ बेटियों को......... ये लक्ष्मी हैं......... पर वो भूल जाते हैं की आखिर हमारे जीवन में एक स्त्री का या स्त्रीलिंग की क्या भूमिका है..
एक आदमी के जीवन में नारी या स्त्रीलिंग का क्या महत्व है.............. ये जरा समझें.......
BeautifulLady
एक आदमी जब पैदा होता है तो एक औरत है जो उसे उस समय जब उसकी जीवन उर्जा बड़ी संवेदनशील होती है तो उसको जो स्त्री संभालती है................ वो है उसकी माँ........
फिर जब थोडा सा बड़ा होता है (बैठने लायक) तो वहां भी एक लड़की ही मिलती है जो उसकी देखरेख करती है उसके साथ खेलती है .... उसका मन बहलाती है....... जब तक की वो इतना बड़ा नहीं हो जाता की बाहर के संसार में अपने दोस्त बना सके........और .... वो है उसकी बहिन............
फिर जब वो स्कूल जाता है तो वहां फिर एक महिला है जो उसकी सहायता करती है..... चीज़ों को समझने में............ उसे सहारा देती है, उसकी कमजोरियों को दूर करने में..... और उसको एक अच्छा इंसान बनाने में............ वो है उसकी टीचर.............
फिर जब वो बड़ा होता है........... और जब जीवन से उसका संघर्ष शुरू होता है.... जब भी वो संघर्ष में वो कमजोर हो जाता है..... तो एक लड़की ही उसको साहस देती है ...... वो है उसकी गर्ल फ्रेंड
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Answer:दुनिया की आधी आबादी महिलाओं की है. उन्हें पूरा सम्मान दिए जाने की जरूरत है. समाज को बार बार इस बात को समझाने की जरूरत है कि महिलाओं की कितनी हिस्सेदारी होनी चाहिए.
एक आदमी जब पैदा होता है तो उस समय उसकी जीवन की ऊर्जा बड़ी संवेदनशील होती है. ऐसे में उसे एक स्त्री ही संभालती है, उसकी मां. जब तक वह इतना बड़ा नहीं हो जाता कि बाहर के संसार में अपने दोस्त बना सके तो वहां भी एक लड़की ही मिलती है जो उसकी देखरेख करती है और वह है उसकी बहन.
फिर जब वह स्कूल जाता है, तो वहां फिर एक महिला है जो उसकी सहायता करती है, चीजों को समझने में, उसे सहारा देती है, उसकी कमजोरियों को दूर करने में और उसको एक अच्छा इंसान बनाने में, वह है अध्यापिका. वह और बड़ा होता है और जीवन से उसका संघर्ष शुरू होता है. जब भी वो संघर्ष में कमजोर हो जाता है तो एक लड़की ही उसको साहस देती है वह है उसकी प्रेमिका. जब आदमी को जरूरत होती है साथ की, अपनी अभिव्यक्ति के लिए, अपना दुख और सुख बांटने के लिए, फिर एक लड़की वहां होती है और वह है उसकी पत्नी.
जीवन के संघर्ष और रोज की मुश्किलों का सामना करते करते आदमी कठोर होने लगता है तब उसे निर्मल बनाने वाली भी एक लड़की ही होती है और वो है उसकी बेटी. और जब आदमी की जीवन यात्रा खत्म होती है, तब फिर उसका अंतिम मिलन होता है मातृभूमि से.
हर महिला को सम्मान दिया जाना चाहिए, जो हर पल आपके साथ किसी न किसी रूप में उपस्थित है. और महिलाओं को गर्व होना चाहिए, अपने महिला होने पर.
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