"घर में विधवा रही पतोहू
लछमी थी, यद्यपि पति घातिन,
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लछमी थी, यद्यपि पति घातिन,
संदर्भ-पंत जी की कविता 'वे आँखें' से अवतरित इन पंक्तियों में कवि ने किसान के दुर्भाग्य की कथा को बताया है। उसके पुत्र को जमींदारों के कारकुनों ने पीट पीटकर मार डाला था। इसका आरोप उसकी पुत्रवधू पर मढ़ दिया गया। ... वह तो लक्ष्मी के समान थी, पर उस पर पति को मारने का आरोप जड़ दिया गया था।
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