घर में विधवा रही पतोहू
लछमी थी , यद्यपि पति घातिन,
संदर्भ सहित आशय स्पष्ट करें:
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(ख) संदर्भ-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित कविता ‘वे आँखें’ से लिया गया है। इसके रचयिता सुमित्रानंदन पंत हैं। इन पंक्तियों में किसान के बेटे की हत्या का दोषी उसकी पुत्रवधू को बताया जाता है। यह नारी पर होने वाले अत्याचारों की पराकाष्ठा है।
आशय-किसान के घर में सिर्फ विधवा पुत्रवधू बची थी। उसका नाम लक्ष्मी थी, परंतु उसे पति को मारने वाली कहा जाता था। समाज में विधवा के प्रति नकारात्मक रवैया है। कसूर न होते हुए पुत्रवधू को पति घातिन कहा जाता है।
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