Give a elocution on topic swabhiman in hindi
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सम्माननीय प्रिंसिपल सर, योग्य शिक्षकों और मेरे प्यारे दोस्तों।
आज मैं 'स्वाभिमान' विषय पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए आपके सामने खड़ा हूं ।
स्वाभिमान अर्थात आत्मसम्मान । हर व्यक्ति के अंदर स्वाभिमान होना चाहिए। बिना स्वाभिमान के कोई भी मनुष्य पूरा नहीं होता ।वह अपने आप में अधूरा रह जाता है। स्वाभिमान को खरीदा नहीं जा सकता क्योंकि यह बाजार में बिकता नहीं है।स्वाभिमान मनुष्य का गुण बन कर अपने आप उबरता है ।
आत्म सम्मान एक महान जीवन के लिए मौलिक है। यदि आत्म-सम्मान की कमी है तो इससे असुरक्षा हो सकती है और हम किसी के होने का प्रयास नहीं कर सकते हैं। आत्म-सम्मान विकसित करने का मतलब है कि जो भी जीवन हमें फेंकता है उससे निपटने के लिए आत्मविश्वास पैदा करना है। आत्म-सम्मान एक आंतरिक विश्वास से आता है, न कि श्रेष्ठता की अहंकारी भावना।
धन्यवाद
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