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Nakarathmak dhrishtikon se laab nahi hota hai
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इस बात को कहने में मुझे कोई अतिश्योक्ति नही होगी कि मानव को ज्ञान वरदान स्वरूप प्राप्त है , जिसके कारण अन्योन्य प्रकार के विचारों को अपने विवेक द्वारा उत्पन्न करते हैं । अब अगर बात विचारों की हो तो ये या तो सकारात्मक होंगे या नकारात्मक ।
सकारात्मक दृष्टिकोण अर्थात किसी घटना को समझने, उसके बारे में सोचने , और उस घटना को सफल बनाने हेतु सकरात्मक सोच या यूं कहें कि सकारात्मक दृष्टिकोण वाले मनुष्यों में एक सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है जो उसे किसी कार्य को करने हेतु हमेशा उत्सुक और प्रेरित रखता है । वजह यह होती है कि वह व्यक्ति किसी भी कार्य और कैसी भी बाधाओं को आसानी से पार कर लेता है । सकारात्मक दृष्टिकोण रखने वाले व्यक्ति ही सफल होते हैं ।
जरूर ही आपने थॉमस अल्वा एडिसन का नाम सुना होगा । वह एक महान वैज्ञानिक में से एक हैं , उन्होंने बिजली के बल्ब का अविष्कार किया । आपको जानकर आश्चर्य होगा की वे हजारों पर्यत्न के बात बल्ब का अविष्कार करने में सफल हुए । यह उनके सकारात्मक दृष्टिकोण का ही तो परिणाम था । उनकी सकारात्मक ऊर्जा ने उन्हें हजारों विफ़लता के बावजुद ऊर्जावान बनाये रखा और उन्हें सफलता दिलाई ।
अब हम बात करें नकारात्मक दृष्टिकोण की तो यह एक ऐसी सोच को उत्पन्न करता है , जो हमारे अंदर नकारात्मक ऊर्जा का प्रहार करती है । कहने का अर्थ यह हुआ कि नकारात्मक दृष्टिकोण रखने वाले व्यक्ति जीवन की हरेक घटनाओं को नकारात्मक दृष्टि से देखता है, उनमे कार्य को करने की क्षमता, ऊर्जा की कमी होती है । वैसे व्यक्ति सफलता के काफी दूर खड़े दिखते हैं । वे खुद की गलतियों पर दूसरों को गलत ठहराते हैं । वे वीरान बंजर जमीन की भांति जीवन में अकेले दिखते हैं । नकारात्मक दृष्टिकोण उन्हें पूरी तरह से समाज से अलग - थलग कर देती है , जीवन मे असफलता के अलावा कुछ नही होता । यूं कहें नकरात्मक दृष्टिकोण से केवल हानि होती है । वे व्यक्ति जो नकारात्मक विचारों को संजोए हुए जीवन को सफल बनाना चाहते हैं उनके हाथ में सफलता के नाम पर एक फूटी कौड़ी नसीब नही होती ।
अतः हमें सकारात्मकता की ओर अग्रसर होना चाहिए अगर चखना हो सफलता का स्वाद ।
[ note : I just gave you some points by which you can prepare your speech ]
best of luck !
सकारात्मक दृष्टिकोण अर्थात किसी घटना को समझने, उसके बारे में सोचने , और उस घटना को सफल बनाने हेतु सकरात्मक सोच या यूं कहें कि सकारात्मक दृष्टिकोण वाले मनुष्यों में एक सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है जो उसे किसी कार्य को करने हेतु हमेशा उत्सुक और प्रेरित रखता है । वजह यह होती है कि वह व्यक्ति किसी भी कार्य और कैसी भी बाधाओं को आसानी से पार कर लेता है । सकारात्मक दृष्टिकोण रखने वाले व्यक्ति ही सफल होते हैं ।
जरूर ही आपने थॉमस अल्वा एडिसन का नाम सुना होगा । वह एक महान वैज्ञानिक में से एक हैं , उन्होंने बिजली के बल्ब का अविष्कार किया । आपको जानकर आश्चर्य होगा की वे हजारों पर्यत्न के बात बल्ब का अविष्कार करने में सफल हुए । यह उनके सकारात्मक दृष्टिकोण का ही तो परिणाम था । उनकी सकारात्मक ऊर्जा ने उन्हें हजारों विफ़लता के बावजुद ऊर्जावान बनाये रखा और उन्हें सफलता दिलाई ।
अब हम बात करें नकारात्मक दृष्टिकोण की तो यह एक ऐसी सोच को उत्पन्न करता है , जो हमारे अंदर नकारात्मक ऊर्जा का प्रहार करती है । कहने का अर्थ यह हुआ कि नकारात्मक दृष्टिकोण रखने वाले व्यक्ति जीवन की हरेक घटनाओं को नकारात्मक दृष्टि से देखता है, उनमे कार्य को करने की क्षमता, ऊर्जा की कमी होती है । वैसे व्यक्ति सफलता के काफी दूर खड़े दिखते हैं । वे खुद की गलतियों पर दूसरों को गलत ठहराते हैं । वे वीरान बंजर जमीन की भांति जीवन में अकेले दिखते हैं । नकारात्मक दृष्टिकोण उन्हें पूरी तरह से समाज से अलग - थलग कर देती है , जीवन मे असफलता के अलावा कुछ नही होता । यूं कहें नकरात्मक दृष्टिकोण से केवल हानि होती है । वे व्यक्ति जो नकारात्मक विचारों को संजोए हुए जीवन को सफल बनाना चाहते हैं उनके हाथ में सफलता के नाम पर एक फूटी कौड़ी नसीब नही होती ।
अतः हमें सकारात्मकता की ओर अग्रसर होना चाहिए अगर चखना हो सफलता का स्वाद ।
[ note : I just gave you some points by which you can prepare your speech ]
best of luck !
Swarup1998:
Very nice! Thanks, sir. :)
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