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समस्त सृष्टि के मूल में एक ही शक्ति या चेतना है, वह चेतना जब जड़ पदार्थो से संयोग करती है, तो जीवों के रूप में व्यक्त होती है और जब ब्रह्मांड व्यापी हो जाती है, तो उसे ही ब्रह्म कहा जाता है। वस्तुत: शास्त्रों के अनुसार जो सर्वव्यापी है वही अणु में है, जो ब्रह्मांड में है वह कण में भी है।
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