Hindi, asked by surendraBalan655, 1 year ago

give me a short essay on swatantrata ka mahatva in hindi.

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Answered by sheetal2015
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ब्रिटिश शासन द्वारा 200 साल तक राज करने के बाद ,15 अगस्त 1947 ,के दिन भारत को स्वतन्त्रता प्राप्त हुई । स्वतन्त्रता का मतलब है कि अपने देश का शासन देश के लोगो के द्वारा किया जाये। अंग्रेज़ो कि गुलामी के वक्त हमारा देश स्वतंत्र नहीं था इसलिए भारत वासियों को पूर्ण अधिकार प्राप्त नहीं थे। लोगो के ऊपर कई कर या लगान लगाए जाते थे और उन्हे कई अपमान और प्रताडनाए भी झेलनी पड़ती थी। स्वतन्त्रता से जीने का अपना अलग ही मजा है। स्वतंत्र देश के नागरिकों को कई मौलिक अधिकार प्राप्त होते है। लोग अपनी मर्जी से अपने धर्म का पालन कर सकते है। सभी को समानता का अधिकार होता है । अगर किसी के साथ अन्याय हुआ है तो न्याय के लिए वह न्यायालय मे जा सकता है । स्वतन्त्रता के कारण सभी को अपने अपने तरीके से जीने का अधिकार मिलता है। बच्चे उपयुक्त शिक्षा प्राप्त कर सकते है । युवा अपने पसंद का रोजगार चुन सकते है । स्वतन्त्रता होने से देश का धन देश के पास ही होता है जिससे विकास और नागरिकों के हितो मे खर्च किया जा सकता है। स्वतन्त्रता के कारण ही ,देश सामाजिक और आर्थिक रूप से विकसित होता है और नागरिकों मे संपन्नता बढ़ती अहि और उनका जीवन स्तर सुधरता है।
Answered by MissSlayer
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पराधीन व्यक्ति कभी सपने में भी सुख प्राप्त नहीं कर सकता। यदि पराधीनता सबसे बड़ा दुख है तो स्वतंत्रता | सबसे बड़ा सख। हितोपदेश में तो यहाँ तक कहा गया है कि यदि परतंत्र व्यक्ति जीवित है, तो फिर मत कौन है। कहने का भाव यह है कि परतंत्र व्यक्ति मरे हुए व्यक्ति के समान है। स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। मनुष्य को छोड पश भी स्वतंत्र रहना चाहता है। स्वतंत्र देश ही उन्नति के पथ पर अग्रसर होता है, क्योंकि उसे सोचने, बोलने तथा हर प्रकार के कार्य करने की स्वतंत्रता होती है, लेकिन भारत का यह दुर्भाग्य रहा है कि उसने 200 साल तक पराधीनता का दुख भोगा। इसलिए पराधीन देश की औद्योगिक, वैज्ञानिक, वैचारिक, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रगति रुक गयी। पराधीन व्यक्ति स्वयं निर्णय नहीं ले पाता। उसका सर्वांगीण विकास रुक जाता है। पराधीन व्यक्ति अकर्मण्य हो। जाता है, क्योंकि उसमें आत्मविश्वास खत्म हो जाता है तथा मनुष्य की सृजनात्मक क्षमता भी धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है। वियोगी हरि ने भी पराधीनता को सबसे अधिक दुखमय माना है

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