Give me an essay on my village in hindi and topic is banaras
Answers
Answered by
0
मेरा गाँव
भारतवर्ष प्रधानतः गांवों का देश है। यहाँ की दो-तिहाई से अधिक जनसँख्या गांवों में रहती है। आधे से अधिक लोगों का जीवन खेती पर निर्भर है। इसलिए गांवों के विकास के बिना देश का विकास किया जा सकता है, ऐसा सोंचा भी नहीं जा सकता।
मेरा गाँव रामपुर गंगा नदी के किनारे बसा है। मेरे गांव की आबादी लगभग २२० परिवारों की है। मेरे गाँव में सभी धर्मों के लोग हैँ, जो आपस मेँ मिलजुल कर रहते हैं। गांव के लोग भोले-भाले, गरीब किन्तु ईमानदार हैं। वे सभी सुबह से शाम तक खेतों में कठिन परिश्रम करते हैं।
गाँव का मुख्य आय स्त्रोत कृषि और पशु पालन है। कुछ परिवार लघु उद्योग पर निर्भर हैं। मेरे गाँव में सिंचाई का अच्छा प्रबंध है। नदी के किनारे होने के कारण वर्ष भर सिँचाई के पानी की समस्या नहीं होती है। इसके अतिरिक्त सिंचाई के अन्य साधन नहर, कुऑं, तालाब एवम ट्यूबवेल आदि हैँ। मेरे गाँव मेँ गेंहू, चना, मक्का, चावल, सरसों एवम गन्ना की उपज होती है।
गाँव के प्रबंध के लिए पंचायत है। गांव के उत्थान के लिए अनेक समितियां बनाई गई हैँ। ग्रामीणो की समस्या पंचायत के सामने रखी जाती है। गांव की गलियों, तालाबों एवम कुओं की सफाई का कार्य सफाई समिति का है। गांव की शिक्षा संबंधी प्रबन्ध शिक्षा समिति करती है।
मेरा गाँव एक आदर्श गांव है। मेरे गांव मेँ ग्राम-सुधार की दृष्टि से शिक्षा पर भी पर्याप्त ध्यान दिया जा रहा है। गांव में प्राथमिक पाठशाला एवम गांव के नजदीक बैंक व डाकघर स्थित है। यहाँ पक्की सड़कों एवं बिजली की व्यवस्था है। यहाँ प्रौढ़ शिक्षा केन्द्र भी चल रहा है। गाँव में डिस्पेंसरी भी है।
इसके अतिरिक्त मेरे गाँव मेँ ग्रामीण व्यक्तियों को विभिन्न व्यवसायों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। हथकरघा और हस्त-शिल्प की ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। विचार यह है कि छोटे उद्योगों व कुटीर उद्योगों की स्थापना से किसानों को लाभ हो। वास्तव मेँ, मेरा गाँव एक आदर्श गाँव है।
फिर भी ग्राम-सुधार की दिशा में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। अभी भी अधिकाँश किसान निरक्षर हैं। गांवों में उद्योग धंधों का विकास अधिक नहीं हो सका है। ग्राम-पंचायतों और न्याय-पंचायतों को धीरे-धीरे अधिक अधिकार प्रदान किये जा रहे हैं। इसलिए यह सोंचना भूल होगी कि जो कुछ किया जा चुका है, वह बहुत है। वास्तव में इस दिशा में जितना कुछ किया जाये, कम है। हमें यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि गांवों के विकास पर ही देश का विकास निर्भर है। गांवों की समस्याओं पर पूरा-पूरा ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
hope it helps
भारतवर्ष प्रधानतः गांवों का देश है। यहाँ की दो-तिहाई से अधिक जनसँख्या गांवों में रहती है। आधे से अधिक लोगों का जीवन खेती पर निर्भर है। इसलिए गांवों के विकास के बिना देश का विकास किया जा सकता है, ऐसा सोंचा भी नहीं जा सकता।
मेरा गाँव रामपुर गंगा नदी के किनारे बसा है। मेरे गांव की आबादी लगभग २२० परिवारों की है। मेरे गाँव में सभी धर्मों के लोग हैँ, जो आपस मेँ मिलजुल कर रहते हैं। गांव के लोग भोले-भाले, गरीब किन्तु ईमानदार हैं। वे सभी सुबह से शाम तक खेतों में कठिन परिश्रम करते हैं।
गाँव का मुख्य आय स्त्रोत कृषि और पशु पालन है। कुछ परिवार लघु उद्योग पर निर्भर हैं। मेरे गाँव में सिंचाई का अच्छा प्रबंध है। नदी के किनारे होने के कारण वर्ष भर सिँचाई के पानी की समस्या नहीं होती है। इसके अतिरिक्त सिंचाई के अन्य साधन नहर, कुऑं, तालाब एवम ट्यूबवेल आदि हैँ। मेरे गाँव मेँ गेंहू, चना, मक्का, चावल, सरसों एवम गन्ना की उपज होती है।
गाँव के प्रबंध के लिए पंचायत है। गांव के उत्थान के लिए अनेक समितियां बनाई गई हैँ। ग्रामीणो की समस्या पंचायत के सामने रखी जाती है। गांव की गलियों, तालाबों एवम कुओं की सफाई का कार्य सफाई समिति का है। गांव की शिक्षा संबंधी प्रबन्ध शिक्षा समिति करती है।
मेरा गाँव एक आदर्श गांव है। मेरे गांव मेँ ग्राम-सुधार की दृष्टि से शिक्षा पर भी पर्याप्त ध्यान दिया जा रहा है। गांव में प्राथमिक पाठशाला एवम गांव के नजदीक बैंक व डाकघर स्थित है। यहाँ पक्की सड़कों एवं बिजली की व्यवस्था है। यहाँ प्रौढ़ शिक्षा केन्द्र भी चल रहा है। गाँव में डिस्पेंसरी भी है।
इसके अतिरिक्त मेरे गाँव मेँ ग्रामीण व्यक्तियों को विभिन्न व्यवसायों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। हथकरघा और हस्त-शिल्प की ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। विचार यह है कि छोटे उद्योगों व कुटीर उद्योगों की स्थापना से किसानों को लाभ हो। वास्तव मेँ, मेरा गाँव एक आदर्श गाँव है।
फिर भी ग्राम-सुधार की दिशा में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। अभी भी अधिकाँश किसान निरक्षर हैं। गांवों में उद्योग धंधों का विकास अधिक नहीं हो सका है। ग्राम-पंचायतों और न्याय-पंचायतों को धीरे-धीरे अधिक अधिकार प्रदान किये जा रहे हैं। इसलिए यह सोंचना भूल होगी कि जो कुछ किया जा चुका है, वह बहुत है। वास्तव में इस दिशा में जितना कुछ किया जाये, कम है। हमें यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि गांवों के विकास पर ही देश का विकास निर्भर है। गांवों की समस्याओं पर पूरा-पूरा ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
hope it helps
Similar questions
Environmental Sciences,
8 months ago
English,
8 months ago
Political Science,
8 months ago
Business Studies,
1 year ago