Hindi, asked by harsh93198, 19 days ago

give me right explanation of any one poem of sanskrat​

Attachments:

Answers

Answered by pushpa4080thakur
0

1st stanza explaination in hindi

2nd stanza explaination in hindi⬇️

मनीषिणः सन्ति न ते हितैषिणः हितैषिणः सन्ति न् ते मनीषिणः |

सुहृच्च विद्वानपि दुर्लभो नृणां यथौषधं स्वादु च दुर्लभं ||

भावार्थ - जो व्यक्ति विद्वान होते हैं उनमें जनसामान्य की सहायता

करने की भावना का अभाव होता है तथा जो व्यक्ति सदैव दूसरों की

सहायता के लिये सदैव तत्पर रहते हैं वे विद्वान नहीं होते हैं | परन्तु ऐसे

व्यक्ति जो दयालु होने के साथ विद्वान भी हों उसी प्रकार दुर्लभ होते हैं

जिस प्रकार स्वादिष्ट परन्तु प्रभावशाली औषधि बहुत ही दुर्लभ होती है |

3rd stanza ⬇️

चक्षुषा मनसा वाचा कर्मणा च चतुर्विधम् । प्रसादयति यो लोकं तं लोको नु प्रसीदति ॥ ३ ॥

भावार्थ - जो मनुष्य नेत्र से, मन से, वाणी से और कर्म से-(इन) चारों प्रकार से संसार को प्रसन्न रखता है, संसार उसे प्रसन्न रखता है।

4th stanza ⬇️

अक्रोधेन जयेत् क्रोधमसाधु साधुना जयेत् । जयेत् कदर्य दानेन जयेत् सत्येन चानृतम् ॥ 4 ॥

भावार्थ -क्रोध को क्रोध न करने से (शान्ति से) जीतना चाहिए। दुर्जन को सज्जनता से जीतना चाहिए। कंजूस को दान से जीतना चाहिए। असत्य (झूठ) को सत्य से जीतना चाहिए।

Attachments:
Answered by sunainakatiyar4
0

Answer:

5. क्रोध को शांति रूप से जीता जा सकता है और असाधु को साधु रूप से जीता है सकता है कंजूस को से जीता जा सकता है और असत्य को सत्य से जीता जा सकता है।

Similar questions