give the summary of poem भोर और बरखा from class 7 Hindi vasant
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हिंदी वसंत भाग 2 के इस पाठ में मीरा के पद दिये गए हैं। पहले पद में मीराबाई ने यशोदा माँ द्वारा श्रीकृष्ण को जगाने के किस्से का वर्णन किया है। मीरा के इस पद में माता यशोदा कान्हा को तरह-तरह के प्रलोभन देकर उठाने का प्रयास कर रही हैं।
दूसरे पद में मीरा ने सावन के महीने का मनमोहक चित्रण किया है। साथ ही, इस पद में उन्होंने कृष्ण के प्रति अपने प्रेम का वर्णन भी किया है।
मीरा बाई के इस पद में वो यशोदा माँ द्वारा कान्हा जी को सुबह जगाने के दृश्य का वर्णन कर रही हैं।
यशोदा माता कान्हा जी से कहती हैं कि ‘उठो कान्हा! रात ख़त्म हो गयी है और सभी लोगों के घरों के दरवाजे खुल गए हैं। ज़रा देखो, सभी गोपियाँ दही को मथकर तुम्हारा मनपसंद मक्खन निकाल रही हैं। हमारे दरवाज़े पर देवता और सभी मनुष्य तुम्हारे दर्शन करने के लिए इंतज़ार कर रहे हैं। तुम्हारे सभी ग्वाल-मित्र हाथ में माखन-रोटी लिए द्वार पर खड़े हैं और तुम्हारी जय-जयकार कर रहे हैं। वो सब गाय चराने जाने के लिए तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं। इसलिए उठ जाओ कान्हा!
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मीराबाई का जीवन परिचय: श्रीकृष्ण की महान भक्त और एक अद्वितीय कवयित्री के रूप में जानी जाने वाली मीराबाई का जन्म सन् 1498 में राजस्थान के मेड़ता में हुआ। इनके पति उदयपुर के महाराणा भोजराज थे। ये शादी के कुछ साल बाद ही विधवा हो गईं और कृष्ण-भक्ति में लीन हो गईं।
इनकी प्रमुख रचनाएं नरसी का मायरा, राग सोरठा के पद, राग गोविंद आदि हैं। मीरा के पद एक ग्रन्थ में भी संकलित हैं। इनकी मृत्य के बारे में किसी को सटीक जानकारी नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि ये अंत में श्रीकृष्ण भगवान की मूर्ति में ही समा गई थीं।
भोर और बरखा – Bhor Aur Barkha
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