Hindi, asked by Sriramrohit1135, 1 year ago

Good and bed things in media for development in hindi

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Answered by mitanshii
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यह वेब मीडिया का ही करिश्मा है कि आज घर बैठे हम ऑनलाइन हिंदी की अनेक किताबें पढ़ सकते हैं। हिंदी में अपने विचार लिखकर उन्हें एक बड़े तबके तक पहुंचा सकते हैं। न्यू मीडिया यानि वेब मीडिया के प्रति लोगों का आकर्षण प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। आज की स्थिति में वेब और भाषा एक दूसरे के अहम सहयोगी माने जा सकते हैं।

ये सच है कि वेब के असर से हिंदी के स्वरूप में इसके मूल स्वरूप से भिन्नता है। वेब मीडिया के प्रयोगों के बावजूद हिंदी के अस्तित्व पर कोई संकट नही है। दूसरी भाषाओँ के कुछ शब्दों के प्रयोग से ही हिंदी वेब के लायक बनी अन्यथा अपने मूल स्वरुप में हिंदी एक दायरे तक सीमित होकर रह जाती।

वेब मीडिया में हिंदी का विकास सन 2000 में यूनिकोड के आने के बाद 2003 में शुरू हुआ। 2003 में हिंदी में इन्टरनेट सर्च और ई मेल की सुविधा की शुरुआत हुई। देखा जाए तो हिंदी के विकास में यह एक मील का पत्थर साबित हुआ। 21वीं सदी के पहले दशक में ही गूगल न्यूज़, गूगल ट्रांसलेट तथा ऑनलाइन फोनेटिक टाइपिंग जैसे साधनों ने वेब की दुनिया में हिंदी के विकास में महत्वपूर्ण सहायता की।

हिंदी के प्रचार-प्रसार में सोशल मीडिया का महत्वपूर्ण योगदान

आज बड़े-बड़े हिंदी के लेखक जो भी लिखते हैं उसे एक सीमित दायरे से हटकर एक बड़े तबके तक पहुंचाने में सफल हैं। कोई भी किताब छपती है उसके प्रमोशन से लेकर लॉन्चिंग तक वेब मीडिया बड़ा योगदान दे रहा है। किताब के किसी छोटे से अंश को सोशल साइट्स पर शेयर करने से लोगों को उसे पढ़ने के प्रति दिलचस्पी होती है।

इलेक्ट्रॉनिक संचार – माध्यम और कंप्यूटर आदि के उपयोग में हिंदी ने अपनी एक खास जगह बना ली है। इससे एक तरफ इन माध्यमों से हिंदी का प्रसार हो रहा है, तो दूसरी तरफ हिंदी का अपना बाजार भी बन रहा है। हिंदी का अपना बाजार बनने से अंतराष्ट्रीय भूमिका मजबूत हो रही है।

आज लगभग हर वो व्यक्ति जो हिंदी में लिखना पसंद करता है, उसके लिए ब्लॉग एक सबसे कारगर माध्यम है। हजारों की संख्या में हिंदी ब्लॉग वेब में मौजूद हैं। अपनी अभिव्यक्ति को अपनी भाषा में प्रदर्शित करने का सुख वेब मीडिया में ब्लॉगिंग के माध्यम से प्राप्त होता है।  

1. इन्टरनेट एडिक्शन है सबसे बड़ा ख़तरा

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इन्टरनेट एडिक्शन यानि इन्टरनेट की लत किसी नशे की लत से किसी भी प्रकार से कम नहीं हैl जैसे किसी नशे की लत लगने से इन्सान अपना दिमागी संतुलन खो बैठता है ठीक वैसे ही इन्टरनेट के अत्यधिक इस्तेमाल से इन्सान अपने आस पास घाट रही घटनाओं से अचेत रहते हुए अपनी ही दुनिया में व्यस्त रहता है जिसका सीधे असर उसकी मानसिक स्थिति पर तो पड़ता ही है साथ ही निजी जीवन में भी रिश्ते कमज़ोर होने लगते हैंl

अक्सर हम बच्चों को घंटों फ़ोन में ऑंखें गड़ाए गेम्स खेलते या सोशिअल वेबसाइट्स का इस्तेमाल करते देखते हैं और ऐसे बच्चों से यदि कुछ समय के लिए फ़ोन ले लिया जाए तो उनमें गुस्से और चिड़चिड़ापन आम देखा जा सकता है इन्टरनेट की लत के चलते उनमें आने वाले मानसिक बदलाव की निशानी माना जा सकता हैl

2. विद्यार्थियों और किशोरों में डिप्रेशन का मुख्य कारन है इन्टरनेट  

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हाल ही में शोधकर्ताओं के इन्टरनेट के अत्यधिक इस्तेमाल पे किये गए अध्ययन से ये बात सामने आई है की इंटरनेट का ज्यादा प्रयोग करने वाले लोगों के डिप्रेशन (अवसाद) की चपेट में जाने का खतरा सबसे ज़्यादा होता है। खासकर विद्यार्थियों और किशोरों में यह स्थिति बहुत खतरनाक पाई गई है। ऐसे लोगों में बेचैनी की समस्या भी देखी गई है। विशेषज्ञों ने बताया कि इंटरनेट की लत के शिकार लोग मानसिक रूप से इतने विचलित हो जाते हैं कि उन्हें अपने दैनिक कार्यों से निपटने में ज़्यादा परेशानियों का सामना करना प़डता है जिससे वे किसी भी कार्य सफलतापूर्वक निपटने में असमर्थ रहते हैं जो उनकी बेचैनी या परेशानी का कारन बनता है और यहीं से डिप्रेशन का ख़तरा पैदा होना शुरू हो जाता है।

इसके अलावा सोशिअल मीडिया के द्वरा बनते बिगड़ते रिश्ते भी डिप्रेशन पैदा करने का एक मुख्य कारन है।

3. इन्टरनेट की लत बनाये आपको अनिद्रा का शिकार

Insomnia यानि अनिद्रा की बीमारी जो अकसर उन लोगों में पाई जाती है जो या तो किसी गंभीर चिंता का शिकार हैं या जिन लोगों को आराम करने के लिए उपयुक्त समय नहीं मिल पाता। लेकिन आज सबसे शक्तिशालीग्लोबल ग्लोबल सिस्टम माना जाने वाला इन्टरनेट लोगों में अनिद्रा की बीमारी को फैला रहा है। इन्टरनेट एडिक्डिशन के चलते बच्चे हों या बड़े सभी रात के दौरान मिलने वाले ख़ाली समय को इन्टरनेट ब्राउज़िंग के लिए इस्तेमाल करना पसंद करते हैं जिससे वे कम समय के लिए ही नींद ले पाते। हर रोज़ देर रात तक दोस्तों से चैट करने और फेसबुक-ट्विटर जैसी सोशिअल मीडिया साइट्स में व्यस्त रहने से आपको वैसी ही आदत पड़ जाएगी जिससे आप सोना चाहो भी तो आपको नींद नहीं आएगी और यहीं से शुरुवात होगी ‘Insomnia’ की।

4. मानसिक विकास के साथ साथ शारीरिक विकास को रोकता है इन्टरनेट एडिक्शन

हम सभी जानते हैं कि विद्यार्थी जीवन में स्कूली शिक्षा के साथ साथ अन्य खेल कूद की गतिविधियाँ भी उतनी ही ज़रूरी हैं। सम्पूर्ण शिक्षा का मतलब ही होता है विद्यार्थी का मानसिक व शारीरिक विकास। इसलिए तो स्कूल के दौरान बच्चों को एक या दो बार ब्रेक दिया जाता है और एक स्पोर्ट्स पीरियड भी रखा जाता है जिसमें बच्चे खेल-कूद कर अपने शरीर व मस्पेशियों को रिलैक्स कर सकें। लेकिन इन्टरनेट एडिक्शन ने मानो बच्चों को खेल-कूद के मतलब से दूर कर दिया हो। बीते समय में जहाँ बच्चे अपने फ्री टाइम में बाहर जाकर दोस्तों के साथ दौड़-भाग कर तरह तरह की खेलें खेलना पसंद करते थे वहीँ आज बच्चे अपने कंप्यूटर या स्मार्ट फ़ोन से चिपके बैठे रहते हैं। इससे उनके शारीरिक विकास पर बेहद बुरा प्रभाव पड़ता है।

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