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नील आर्मस्ट्रांगअमेरिकी अंतरिक्ष यात्री; चंद्रमा पर चलने वाला पहला व्यक्तिनील एल्डन आर्मस्ट्रांग(अंग्रेज़ी:Neil Alden Armstrong; ५ अगस्त १९३० – २५ अगस्त २०१२) एक अमेरिकीखगोलयात्रीऔरचंद्रमा पर कदम रखने वाले पहले व्यक्तिथे।[2]इसके अलावा वे एक एयरोस्पेस इंजीनियर, नौसेना अधिकारी, परीक्षण पायलट, और प्रोफ़ेसर भी थे। खगोलयात्री (ऍस्ट्रोनॉट) बनने से पूर्व वे नौसेना में थे। नौसेना में रहते हुए उन्होंने कोरिया युद्ध में भी हिस्सा लिया। नौसेना के उन्होंने पुरुडु विश्वविद्यालय से स्नातक उपाधि ली और तत्पश्चात् एक ड्राइडेन फ्लाईट रिसर्च सेंटर से जुड़े और एक परीक्षण पायलट के रूप में ९०० से अधिक उड़ानें भरीं। यहाँ सेवायें देने के बाद उन्होंने दक्षिण कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से परास्नातक की उपाधि हासिल की।नील आर्मस्ट्रांग"आर्मस्ट्रांग"जन्म5 अगस्त 1930वेपकॉनेटा,ओहायोमृत्युअगस्त 25, 2012(उम्र 82)[1]सिनसिनाटी,ओहायोराष्ट्रीयताअमेरिकीअन्य नामनील एल्डन आर्मस्ट्रांगशिक्षा प्राप्त कीपुरडु यूनिवर्सिटी (बी॰एस॰) 1955यूनिवर्सिटी ऑफ साऊथर्न केलिफॉर्निया (एम॰एस॰) 1970व्यवसायखगोलयात्रीप्रसिद्धि कारणचंद्रमापरकदम रखने वालापहला इंसानपुरस्कारप्रेजिडेंटल मैडल ऑफ फ्रीडमकॉंग्रेसनल स्पेस मैडल ऑफ ऑनरआर्मस्ट्रांग को मुख्यतः अपोलो अभियान के खगोलयात्री के रूप में चंद्रमा पर कदम रखने वाले पहले व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। इससे पहले वे जेमिनी अभियान के दौरान भी अंतरिक्ष यात्रा कर चुके थे।[3]अपोलो ११, वह अभियान था जिसमें जुलाई १९६९ में पहली बार चंद्रमा पर मानव सहित कोई यान उतरा और आर्मस्ट्रांग इसके कमांडर थे। उनके अलावा इसमें बज़ एल्ड्रिन, जो चाँद पर उतरने वालेदूसरे व्यक्ति बने, और माइकल कॉलिंस जो चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगाते मुख्य यान में ही बैठे रहे, शामिल थे।अपने साथियों के साथ, इस उपलब्धि के लिये आर्मस्ट्रांग को राष्ट्रपति निक्सन के हाथोंप्रेसिडेंसियल मेडल ऑफ फ्रीडमसे सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने उन्हें १९७८ मेंकॉंग्रेसनल स्पेस मेडल ऑफ ऑनरप्रदान किया और आर्मस्ट्रांग और उनके साथियों को वर्ष २००९ मेंकॉंग्रेसनल गोल्ड मेडलदिया गया।आर्मस्ट्रांग की मृत्यु,सिनसिनाती,ओहायो, में २५ अगस्त २०१२ को ८२ वर्ष की उम्र में बाईपास सर्जरी के पश्चात् हुई।[4][5]प्रारंभिक जीवननील आर्मस्ट्रांग का जन्म ५ अगस्त, १९३० को वेपकॉनेटा, ओहायो में हुआ था। उनके पिता का नाम स्टीफेन आर्मस्ट्रांग था और माँ का वायला लुई एंजेल थीं,[6][7]और उनके माता पिता की दो अन्य संतानें जून और डीन, नील से उम्र में छोटे थे। पिता स्टीफेन ओहायो सरकार के लिये काम करने वाले एक ऑडिटर थे[8]और उनका परिवार इस कारण ओहायो के कई कस्बों में भ्रमण करता रहा। नील के जन्म के बाद वे लगभग २० कस्बों में स्थानंतरित हुए। इसी दौरान नील की रूचि हवाई उड़ानों में जगी। नील जब पाँच बरस के थे, उनके पिता उन्हें लेकर २० जून १९३६ को ओहायो के वारेन नामक स्थान पर एक फोर्ड ट्राईमोटर हवाई जहाज में सवार हुए और नील को पहली हवाई उड़ान का अनुभव हुआ।[9]अंत में उनके पिता का स्थानांतरण १९४४ में पुनः उसी वेपकॉनेटा कसबे में हुआ जहाँ नील का जन्म हुआथा। नील ने शिक्षाब्लूम हाईस्कूलजाना शुरू किया और उड़ान के पहले पाठ वेपकॉनेटा ग्रासी एयरफील्ड पर लेना आरम्भ किया।[7]नील ने अपने १६वें जन्मदिन पर स्टूडेंट फ्लाईट सर्टिफिकेट हासिल किया और उसी वर्ष अगस्त में ही अपनी एकल उड़ान भरी; यह तब जब अभी उनके पास ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं था।[10]वर्ष १९४७ में नील ने सत्रह वर्ष की आयु में एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू की। उन्होंने यह शिक्षापुरडु यूनिवर्सिटीमें ली। वे किसी कॉलेज स्तर की शिक्षा प्राप्त करने वाले अपने परिवार के दूसरे सदस्य थे।[11]नेवी में कार्यआर्मस्ट्रांग को २६ जनवरी १९४९ को नौसेना से बुलावा मिला और उन्होंने पेंसाकोला नेवी एयर स्टेशन में अठारह महीने की ट्रेनिंग ली। २० वर्ष की उम्र पूरी करने के कुछ ही दिनों बाद उन्हें नेवल एविएटर (नौसेना पाइलट) का दर्जा मिल गया।[12]कोरिया के ऊपर उड़ान के दौरान एफ़9एफ़-2 पैंथर्स, आर्मस्ट्रांग S-116 (बाएं) उड़ाते हुए।एक नौसेना उड़ानकर्ता के रूप में उनकी पहली तैनातीफ्लीट एयरक्राफ्ट सर्विस स्क्वार्डन ७में सानडियागो में हुई।एक अंतरिक्ष यात्री होने के साथ साथ आर्मस्ट्रांग एरोस्पेस इंजीनियर, नौसेना विमान चालक, टेस्ट पायलट और युनिवर्सिटी के प्रोफेसर भी रहे. चाँद मिशन से पूर्व उन्होंने नेवी ऑफिसर के रूप में भी सेवाएं दी तथा कोरियाई युद्ध में सक्रिय भूमिका अदा की.युद्ध के दौरान उड़ान का पहला अवसर उन्हें कोरियाई युद्ध के दौरान मिला जब २९ अगस्त १९५१ को उन्होंने इसमें उड़ान भरी। यह एक चित्र ग्रहण करने हेतु भरी उड़ान थी।[13]पाँच दिन बाद, ३ सितंबर को उन्होंने पहली सशस्त्र उड़ान भरी।[14]आर्मस्ट्रांग ने कोरिया युद्ध में ७८ मिशनों के दौरान उड़ान भरी और १२१ घंटे हवा में गुजारे। इस युद्ध के दौरान उन्हें पहले २० मिशनों के लिये 'एयर मेडल', अगली २० के लिये 'गोल्ड स्टार' और कोरियन सर्विस मेडल मिला।[15]आर्मस्ट्रांग ने २२ की उम्र में नौसेना छोड़ी और संयुक्त राज्य नौसेना रिजर्व में २३ अगस्त १९५२ को लेफ्टिनेंट (जूनियर ग्रेड) बने। यहाँ वे अगले आठ सालों तक सेवाए देते रहे और अक्टूबर १९६० में यहाँ से सेवानिवृत्त हुए।[16]नौसेना के बादनौसेना से लौट कर आर्मस्ट्रांग ने वापस पुरुडु यूनिवर्सिटी में अपनी पढ़ाई जारी रखी और १९५५ में उन्हें एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में विज्ञान स्नातक (बी॰एस॰) की उपाधि हासिल हुई।[16]कॉलेज के दिनों में ही उनकी मुलाक़ात एलिजाबेथ शेरॉन से हुई जो वहाँ होम इकोनॉमिक्स की शिक्षा ले रहि थीं।२७ जनवरी १९५६ को इन दोनों ने विवाह कर लिया। शेरॉन अपनी डिग्री नहीं पूरी कर सकीं जिसका बाद मेंउन्हें बेहद अफ़सोस रहा।[17]नील और शेरॉन की तीन संताने: एरिक, करेन, और मार्क हुए।
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