gopiyon ko udhav ka sandesh pasand kyun nahi aaya
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यहां सूर के भ्रमरगीत से 4 पद लिए गए हैं। कृष्ण ने मथुरा जाने के बाद स्वयं न लौटकर उद्धव के जरिए गोपियों के पास संदेश भेजा था। उन्होंने निर्गुण ब्रह्मा एवं योग का उपदेश देकर गोपियों की विरह वेदना को शांत करने का प्रयास किया। गोपियां ज्ञान मार्ग की बजाए प्रेम मार्ग को पसंद करती थी इस कारण उंहें उद्धव का शुष्क संदेश पसंद नहीं आया। तभी वहां एक भंवरा आ पहुंचा यहीं से भ्रमरगीत का प्रारंभ होता है।
गोपियों ने भ्रमर के बहाने उद्धव पर व्यंग्य बाण छोड़े। पहले पद में गोपियों की यह शिकायत वाजिब लगती है कि यदि उद्धव कभी स्नेह के धागे से बंधे हो थे तो वह विरह की वेदना को अनुभूत अवश्य कर पाते। दूसरे पद में गोपियों की स्वीकारोक्ति कि उनके मन की अभिलाषाए मन में ही रह गई। कृष्ण के प्रति उनके प्रेम की गहराई को अभिव्यक्त करती है। तीसरे पद में उद्धव के योग साधना को कड़वी – ककड़ी जैसा बता कर अपने एकनिष्ठ प्रेम से दृढ़ विश्वास प्रकट करती है। चौथे पद में उद्धव को ताना मारती है , कि कृष्ण ने अब राजनीति पढ़ ली है। अंत में गोपियों द्वारा उद्धव को राजधर्म – प्रजा का हित याद दिलाया जाना सूरदास की लोक धर्मिता को दर्शाता है।
Meaning in English
Here 4 verses have been taken from Bhuramgit of Sur. After going to Mathura, Krishna himself did not return and sent a message to Uddhav's gopis. He preached Nirguna Brahma and Yoga to teach Vedas against the gopis.
उधौं , तुम हो अति बड़भागी।
अपरस रहत सनेह तगा तैं , नाहिन मन अनुरागी।
पुरइनि पात रहत जल भीतर , ता रस देह न दागी।
ज्यों जल मांह तेल की गागरी , बूँद न तांको लागी।
प्रीति – नदी में पाऊँ न बोरयो , दृष्टि न रूप परागी।
‘ सूरदास ‘ अबला हम भोरी , गुर चांटी ज्यों पागी। ।
शब्दार्थ ; बड़भागी = भाग्यवान। अपरस = अलिप्त , अछूता। तगा = धागा , बंधन। अनुरागी = प्रेमी। पुरइनि पात = कमल का पत्ता। दागी = दाग ,धब्बा , मांह में। प्रीति नदी = प्रेम की नदी।पाऊं = पैर। बोरयो = डुबाया। परागी = मुग्ध होना। भोरी = भोली-भाली। गुर चांटी ज्यों पागी = जिस प्रकार चींटी गुड में लिपटी रहती है , उसी प्रकार हम कृष्ण प्रेम में , अनुरक्त हैं सनी है।
प्रसंग : प्रस्तुत पद कृष्ण भक्त सूरदास रचित ” सूरसागर ” के भ्रमरगीत से लिया गया है। गोपिया कृष्ण के मित्र उद्धव पर व्यंग्य करती हुई कहती है।
व्याख्या : है उद्धव तुम बड़े भाग्यशाली हो। तुम कृष्ण के निकट रहकर भी उनके प्रेम – रस में नहीं डूबे (व्यंग्य) | तुम कृष्ण प्रेम से सर्वथा अछूते रहे , अलिप्त रहे। तुम कभी कृष्ण – प्रेम के धागे से बंधे ही नहीं। तुम्हारे मन में कृष्ण के प्रति कभी अनुराग उत्पन्न ही नहीं हुआ। तुम तो कमल के पत्ते के समान हो जो जल के भीतर रहकर भी जल से ऊपर रहता है। इसी प्रकार तुम कृष्ण के साथ रहकर भी उनके प्रेम से अलग रहते हो।
Meaning in English
Uddhaun, you are very large.
Aparas rahat saneh taga taay, nahin mana anuragi
Purini remains inside the water, so the body is not tainted.
As the water is oozing with oil, drops do not flow.
Preeti - don't get bored in the river, don't have eyesight
PLEASE MARK IT AS BRAINLIEST..
PLEASE PLEASE PLEASE
Explanation: