Gunatmak siksha par nibandh
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गुणात्मक शिक्षा का अर्थ है विद्यार्थी का चहुँमुखी विकास। कौशल विकास का अर्थ है शिक्षक द्वारा विद्यालय में ऐसा वातावरण तैयार करना, जिसमें बच्चे अपने अनुभवों के आधार पर शिक्षक के सहयोग से ज्ञान का सृजन कर सकें।
शिक्षक अपने अध्यापन कौशल के माध्यम से बालकों के सीखने की क्षमता में अपेक्षित संवर्द्धन कर कक्षा-कक्ष में आनन्ददायी शैक्षिक वातावरण तैयार कर सकता है।
वर्तमान समय में केन्द्र सरकार व राज्य सरकार ने विद्यालयों में शैक्षिक वातावरण सुधार हेतु बाल केन्द्रित शिक्षण विद्या एवं शैक्षणिक उपलब्धियों में समतुल्यता के सरोकारों के आधार पर गुणात्मक बदलाव की रूपरेखा तैयार की है। इस योजना के विकल्पों को शिक्षक ही अपने अध्यापन कौशल से जमीनी स्तर पर मूर्त रूप प्रदान कर, लक्ष्यों के अनुरूप गुणवत्ता को सही मायनों में स्थापित कर सकता है। वर्तमान समय में शिक्षा में जिस स्तर पर बदलाव अपेक्षित है इसकी नींव विकेन्द्रित रूप से क्षमताओं के विकास और शिक्षक कौशल विकास के द्वारा ही रखी जा सकती है।
गुणात्मक शिक्षा चिन्तन और सीखने से सम्बंधित प्रक्रिया के सिद्धान्तों पर आधारित है। शिक्षक अध्यापन कौशल से कक्षा-कक्ष में आनन्ददायी वातावरण बनाकर बच्चों के साथ आत्मीयता व मित्रता पूर्ण व्यवहार अपनाकर भयमुक्त वातावरण बनाकर खेल विधि व गतिविधि आधारित शिक्षण करवाकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। एक आदर्श शिक्षक का कौशल विद्यार्थी के स्वयं करके सीखने की प्रक्रिया में सहयोग करता है।
अध्यापन कौशल वह विशिष्ट अनुदेशन प्रक्रिया है जिसे अध्यापक कक्षा-शिक्षण क्रम की विभिन क्रियाओं से सम्बंधित उपयोग करता है।
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