History, asked by AbhishekdreemBOY, 5 months ago

guptkalin shasan ke Itihaas ki purn Rachna Mein prayukt strotten Ka sankshep Mein varnan kijiye​

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Answered by champav9292
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Answer:

गुप्त काल 'भारत का स्वर्ण युग' कहा जाता है। गुप्त साम्राज्य में राजपद वंशानुगत सिद्धान्त पर आधारित था। राजा अपने बड़े पुत्र को युवराज घोषित करता था। अपने उत्कर्ष के समय में गुप्त साम्राज्य उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में विंध्य पर्वत तक एवं पूर्व में 'बंगाल की खाड़ी' से लेकर पश्चिम में सौराष्ट्र तक फैला हुआ था। गुप्त वंश के कुछ अन्य शासक, जैसे- नरसिंहगुप्त (बालदिल्य), कुमारगुप्त द्वितीय, बुधगुप्त, वैण्यगुप्त, भानुगुप्त, कुमारगुप्त तृतीय, विष्णुगुप्त आदि में मिलकर कुल 476 ई. से 550 ई. तक शासन किया था।

Answered by raghvendrark500
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साहित्यिक स्रोत –

नाटक –

विशाखदत्त कृत देवीचन्द्रगुप्तम् तथा मुद्राराक्षस,

शूद्रक का मृच्छकटिकम्,

कालिदास रचित मालविकाग्निमित्रम्, कुमारसम्भवम्, रघुवंशम् अभिज्ञान-शाकुन्तलम् आदि।

स्मृतियां –

बृहस्पति, नारद आदि

पुराण –

वायु पुराण, मत्स्य पुराण, विष्णु पुराण, ब्रह्म पुराण।

बौद्ध साहित्य –

मंजुश्रीमूलकल्प, वसुबंधु चरित।

जैन साहित्य –

जिनसेन रचित हरिवंश पुराण।

विदेशी साहित्य –

फाह्यान का फो-क्यो-की तथा युवान च्वांग (ह्वेनसांग) का सि-यू-की आदि ग्रंथ।

पुरातात्विक स्रोत –

प्रशस्तियां एवं अभिलेख –

समुद्रगुप्त के प्रयाग प्रशस्ति एवं एरण अभिलेख,

चन्द्रगुप्त द्वितीय का महरौली स्तम्भ-लेख तथा उदयगिरी गुहा अभिलेख,

कुमारगुप्त प्रथम का मंदसौर लेख, गढ़वा शिलालेख, बिलसढ़ स्तम्भ लेख, स्कन्दगुप्त का जूनागढ़ प्रशस्ति, भितरी स्तम्भ लेख।

मुद्रायें –

गुप्त युग से भारतीय मुद्रा के इतिहास में नवीन युग की शुरुआत। गुप्त शासकों की स्वर्ण एवं रजत मुद्राएं

मन्दिर एवं मूर्तियां –

उदयगिरि, भूमरा नचना कुठार, देवगढ़ एवं तिगवा के मंदिर, सारनाथ बुद्ध मूर्ति, मथुरा की जैन मूर्तियां

चित्र – अजन्ता व बाघ के चित्र

ताम्रपत्र – भूमि अनुदान सम्बन्धी।

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