Guru Purnima
poem in Hindi
Answers
(Guru Purnima)
गुरु बिना ज्ञान कहां,
उसके ज्ञान का आदि न अंत यहां।
गुरु ने दी शिक्षा जहां,
उठी शिष्टाचार की मूरत वहां।
अपने संसार से तुम्हारा परिचय कराया,
उसने तुम्हें भले-बुरे का आभास कराया।
अथाह संसार में तुम्हें अस्तित्व दिलाया,
दोष निकालकर सुदृढ़ व्यक्तित्व बनाया।
अपनी शिक्षा के तेज से,
तुम्हें आभा मंडित कर दिया।
अपने ज्ञान के वेग से,
तुम्हारे उपवन को पुष्पित कर दिया।
जिसने बनाया तुम्हें ईश्वर,
गुरु का करो सदा आदर।
जिसमें स्वयं है परमेश्वर,
उस गुरु को मेरा प्रणाम सादर।
माँ पहली गुरु है और सभी बड़े बुजुर्गों ने
कितना कुछ हमे सिखाया हैं
गुरु पूजनीय हैं
बढ़कर है गोविंद से
कबीर जी ने भी हमे सिखाया हैं
पशु पक्षी फूल काटे नदियाँ
हर कोई हमे सिखा रहा हैं
भारतीय संस्कृति का कण कण
युगों युगों से गुरु पूर्णिमा की
महिमा गा रहा हैं…
जानवर इंसान में जो भेद बताए,
वही सच्चा गुरु कहलाए..
जीवन पथ पर जो चलना सिखाए,
वही सच्चा गुरु कहलाए..
जो धेर्यता का पाठ पढाए,
वही सच्चा गुरु कहलाए..
संकट में जो हँसना सिखाए,
वही सच्चा गुरु कहलाए..
पग-पग पर परछाई सा साथ निभाए,
वही सच्चा गुरु कहलाए..
जिसे देख आदर से सर झुक जाए,
वही सच्चा गुरु कहलाए.
परम गुरु
दो तो ऐसी विनम्रता दो
कि अंतहीन सहानुभूति की वाणी बोल सकूँ
और यह अंतहीन सहानुभूति
पाखंड न लगे
दो तो ऐसा कलेजा दो
कि अपमान, महत्वाकांक्षा और भूख
की गाँठों में मरोड़े हुए
उन लोगों का माथा सहला सकूँ
और इसका डर न लगे
कि कोई हाथ ही काट खाएगा
दो तो ऐसी निरीहता दो
कि इसे दहाड़ते आतंक क बीच
फटकार कर सच बोल सकूँ
और इसकी चिन्ता न हो
कि इसे बहुमुखी युद्ध में
मेरे सच का इस्तेमाल
कौन अपने पक्ष में करेगा
यह भी न दो
तो इतना ही दो
कि बिना मरे चुप रह सकूँ
Answer:
नित नई राहे दिख़ाते
ज्ञान की ब़ातें सिख़ाते
राह मे ज़ब हम गिरे तो
युक्ति उ़ठने क़ी सुझाते
शब्द मन क़े द्विग है होते
अपनी आँखो से दिख़ाते
ज्ञान अमृत क़ो पिलाक़र
प्यास मन क़ी बुझ़ाते
अपना अनुभ़व शिष्य़ को दे
जिन्दग़ी उसक़ी सज़ाते
द्रोण जैसे गुरु ध़रापर
इक़ धनुर्धर ऩित ब़नाते
भाग्यशाली हूँ मिले दो
एक़ गुरु तो सब़ ही पाते
hope it helps u
keep smiling
happy guru purnima