Gyan aur Anand Prapti ke sadhan
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आनंद इससे ऊपर की चीज है। सुख-दुःख का संबंध मन और शरीर से होता है, जबकि आनंद का संबंध अंतरात्मा से होता है। आनंद अगर मिल जाए तो व्यक्ति उसे छोड़ना नहीं चाहता। प्रश्न यह है कि आनंद की प्राप्ति कैसे हो? इसके लिए हमें स्वयं से प्रेम करना और दूसरों में प्रेम बाँटना होगा।
ईश्वर द्वारा निर्मित जीवों के प्रति प्रेम करके हम आनंद प्राप्ति के पक्ष पर बढ़ सकते हैं। यथाशक्ति दूसरों की सेवा, सबके प्रति स्नेह, दया, सहानुभूति, परोपकार की भावना रखना और ईश्वर के प्रति समर्पण भाव रखना ही सच्ची मानवता है। जब तक हम सही अर्थों में मानव नहीं बन जाते, तब तक आनंद की प्राप्ति संभव नहीं है।
यदि हम स्वयं सच्चे अर्थों में मानव बन जाएँ तो जीवन में प्रतिकूल परिस्थितियाँ आएँगी ही नहीं। यदि हम कभी एकांत में शांतचित्त बैठकर चिंतन और मनन करें तो जीवन का लक्ष्य स्पष्ट रूप से सामने दिखाई देगा। 'हम संसार में क्यों आए हैं?' 'कहाँ जाएँगे?' 'किसने भेजा है?' आदि अनेक प्रश्नों के उत्तर हमें स्वतः प्राप्त होंगे।
I hope u get ur answer
plzmark it brainlist,☺️
ईश्वर द्वारा निर्मित जीवों के प्रति प्रेम करके हम आनंद प्राप्ति के पक्ष पर बढ़ सकते हैं। यथाशक्ति दूसरों की सेवा, सबके प्रति स्नेह, दया, सहानुभूति, परोपकार की भावना रखना और ईश्वर के प्रति समर्पण भाव रखना ही सच्ची मानवता है। जब तक हम सही अर्थों में मानव नहीं बन जाते, तब तक आनंद की प्राप्ति संभव नहीं है।
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Deepikachanana:
Ok
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Plzz mark as Brainliest...!!!!!
1 Like तो बनता है |
Thanks की तो बात ही अलग है |
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