होबस के अनुसार मनुष्य की प्रकृति की
स्वभाविक अवस्था कया है।
150 राकम् ।
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मनुष्य एक ऐसा जीव है जो सबसे समाजदार होने के बावजूद सबसे क्रूर प्राणी की तरह हमारी माता प्रकर्ती को नुक्सान पौचाते है हमने जबसे ये मॉर्डन युग में कदम रखा है तब से हमने प्रकृति के बारे में सोचना बंद कर दिया है हम हर दिन अनजाने में माता प्रकृति को नुक्सान पहचाते है जैसे अगर हमें थोड़ी सी दूरी पे जाना होगा तो हम स्कूटी या कर लेके जाते है साइकिल और पदेल चलने के बजाए ये एक उदाहरण अगर हम अपनी ज़िन्दगी में उतार ले तो वाऊ प्रदूषित होना बन्द हो जायेगी।
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