हाइकु विधा ma poem on topic friendship
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कितने अजीब है ना ये रिश्ते, जो किस्मत से मिलते हैं।
अपनी यारी को जन्नत बना जाते हैं,
दोस्त मिले तो अन्जाने में, कोई मस्ती वाला यार बन गया,
कोई हॉस्टल की टोली में मिल गया,
कुछ नोट्स वाले दोस्त मिले, कोई चाय की चुश्कियों के साथ दिल गये।
कईयों ने साथ में गलियां भी खाई और कईयों ने खिलवाई भी।
पर दोस्ती हर एक ने क्या ख़ूब निभाई,
दोस्तों के नाम पर सारे भुक्कड़ ही मिले, एक टिफिन में पूरी टोली ने लूट मचाई।
और चाय के शौकीन तो हम बराबर के निकले, फिर क्या सब के हाथ में चाय और सबकी टांग खिंचाई
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