है खटकता एक सबकी आँख में,
दूसरा है सोहता सुर सीस पर,
किस तरह कुल की बड़ाई काम दे,
सौरमाथा
जो किसी में हो बड़प्पन की कसर ।।५।।
तमो वाम
कविता का सरल अर्थ
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कहने का तात्पर्य यह है कि भले ही मनुष्य अच्छे या उंँच कुल में जन्मा हो पर उसका स्वभाव अच्छा ना हो, उनमें बड़प्पन के भाव नहीं है तो सब व्यर्थ है। मनुष्य की महत्ता एवं उसकी सच्ची पहचान उसके सद्गुणों एवं व्यवहार से होती है न कि उंँचे कुल में जन्म लेकर घृणित कार्य करने से। आदर्श,जीवन व्यतीत करने के उद्देश्य से मनुष्य को फूल के स्वाभाविक गुणों को अपनाना श्रेयस्कर होगा।
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प्रस्तुत पंक्तियाँ फूल और कांटें नामक कविता से ली गयी है।
- इन पंक्तियों का अर्थ है की काँटा सबकी आँखों में खटकता है और किसी को नहीं सुहाता। क्यूंकि वो हमेशा दूसरों का नुक्सान करता है। ये काँटा कपड़ें फॉर देता है, बहुराओं का तन बह जाता है, तितलियों के पर काट देता है। दूसरों का नुक्सान करने की वजह से किसी को पसंद नहीं आता।
- फूल हमेशा दुसरो को पसंद करता है। इसलिए उसकी बड़ाई की जाती है जैसे तितलियों को अपनी गॉड में लेता है,भौरो को अपना रास पिलाता है। इसलिए वो भगवान् के चरणों में भी चराया जाता है। इस ही प्रकार हमारे की को की प्रशंशा बारे से नहीं बल्कि हमारे अचे कर्मो से होता है।
#SPJ2
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