'हिल हरित रूधिर है रहा झलक' का आशय स्पष्ट करे?
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इस कविता में गाँव के खेतों के सौंदर्य का चित्रण हुआ है। यदि आप गाँव में नहीं भी रहते हों तब भी आपने बसों या रेल में सफर करते समय गाँव की नैसर्गिक सुंदरता को जरूर निहारा होगा। दूर दूर तक ऐसा लगता है जैसे हरे रंग की मखमल की चादर बिछी हुई हो और उसपर जब सूरज की किरणें चमकती हैं तो लगता है जैसे किसी ने चांदी का जाल बिछा दिया हो। घास के हरे तन पर लगता है हरे वस्त्र हवा में हिल रहे हों। जब आप दूर क्षितिज पर देखेंगे तो लगेगा जैसे सांवली सी धरती पर निर्मल नीला आकाश अपने पलक बिछा रहा हो।
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